सासाराम के जजों को मिली ”लाल सलाम” धमकी, सुरक्षा बढ़ी

सासाराम : जिला मुख्यालय के सिविल कोर्ट में शुक्रवार को न्यायालय की दीवार पर सटे नक्सली पोस्टर से हडकंप मचा गया. सुबह में करीब 9:30 बजे कचहरी का मुख्य द्वार खुलते ही किसी ने पोस्टर चस्पाया था. जिला जज के संज्ञान में चस्पे पोस्टर की बात सामने आते ही आनन-फानन में सुरक्षाकर्मियों ने पोस्टर को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 7, 2017 6:41 PM

सासाराम : जिला मुख्यालय के सिविल कोर्ट में शुक्रवार को न्यायालय की दीवार पर सटे नक्सली पोस्टर से हडकंप मचा गया. सुबह में करीब 9:30 बजे कचहरी का मुख्य द्वार खुलते ही किसी ने पोस्टर चस्पाया था. जिला जज के संज्ञान में चस्पे पोस्टर की बात सामने आते ही आनन-फानन में सुरक्षाकर्मियों ने पोस्टर को कब्जे में लेकर न्यायालय प्रशासन के सुपुर्द कर दिया. तत्काल इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को भी दे दी गयी. न्यायालय प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तमाम वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित पटना हाइकोर्ट को भी नक्सली पोस्टर की घटना से अवगत कराया. वहीं, पोस्टर की घटना को लेकर न्यायालय की सुरक्षा बढ़ा दी गयी.

दो दिन पूर्व ही पांच नक्सलियों को सुनायी गयी थी सजा

किसी कंप्यूटर से निकाले गये पोस्टर में लाल सलाम (मुट्ठी बंधे हाथ) का प्रतीक चिह्न देते हुए उसमें जजों को जान से मारने की धमकी दी गयी है. विदित हो कि महज दो दिन पूर्व गत बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रभुनाथ सिंह की अदालत ने शहीद डीएफओ डीएफओ संजय सिंह की हत्या के मामले में पांच नक्सलियों में से चार को आजीवन कारावास व एक को दस वर्ष की सजा सुनायी थी. फैसले को लेकर खुफिया विभाग ने नक्सलियों के संभावित उत्पात के मद्देनजर पुलिस विभाग को सतर्क किया था.

सुरक्षा को लेकर राज्य मुख्यालय की टीम ने दिये थे कई सुझाव

जानकारों की मानें तो सासाराम सिविल कोर्ट और मंडल कारा शुरू से ही नक्सलियों के निशाने पर रहे हैं. इसे लेकर पूर्व में भी न्यायालय की सुरक्षा की समय-समय पर समीक्षा होती रही है. हाल के वर्षों में कचहरी के पास दो दो बार हुए बम विस्फोट की घटनाओं के बाद राज्य मुख्यालय से आयी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की टीम ने न्यायालय परिसर की घेराबंदी कराने, जगह-जगह सीसीटीवी कैमरा लगाने, गेट पर मेटल डिटेक्टर लगाने जैसे कई सुझाव दिये थे.

सुझाव के बावजूद सिर्फ खानापूर्ति की गयी

राज्य मुख्यालय से आयी टीम के सुझावों पर पूरी तरह अमल नहीं किया गया. सुरक्षा के नाम पर महज खानापूर्ति ही की गयी. मुख्यद्वार पर मेटल डिक्टेक्टर और सड़क के पोल पर एक सीसीटीवी कैमरा लगाने के सिवाय कोई इंतजाम नहीं किया जा सका है. बताते हैं, पटना हाइकोर्ट की पहल पर न्यायालय परिसर के चिह्नित स्थलों के अलावा न्यायालय और कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव डेढ़ वर्षों से यूं ही लटका हुआ है. गेट पर लगे मेटल डिटेक्टर का हाल है कि वह अक्सर खराब ही रहता है. न्यायालय के गेट पर बेतरतीब लगाये जामेवाले दोपहिया वाहनों से भी सुरक्षा को बड़ा खतरा माना जाता है.

सभी पुलिस अधिकारियों को भेजे जा रहे पत्र

घटना को लेकर न्यायालय प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि इसे गंभीरता से लेते हुए स्थानीय थाना सहित डीएसपी, एसपी, डीआईजी, आईजी व डीजीपी को पत्र भेजा जा रहा है. साथ ही साथ पटना हाइकोर्ट को भी इससे अवगत कराया गया है.

घटना को लेकर पुलिस गंभीर

वहीं, घटना को लेकर एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि पुलिस इसे काफी गंभीरता से लिया है. पहले से भी न्यायालय की सुरक्षा में पुलिस बल तैनात हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को न्यायालय की सुरक्षा की जवाबदेही सौंपी गयी है. पोस्टर के वजूद को ले जांच शुरू कर दी गयी है. पोस्टर की वैज्ञानिक तरीके से जांच करायी जायेगी.

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