आज इतिहास बनायेगी सासाराम नगर पर्षद

सासाराम कार्यालय : गुरुवार का दिन सासाराम नगर पर्षद के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है. पार्षद एक जुट रहे तो आज सासाराम नगर पर्षद में एक नया इतिहास बनेगा. मुख्य पार्षद एवं कार्यपालक पदाधिकारी (इओ) दोनों के पास एक एक मौका है. देखना है बाजी किसके हाथ आती है. आज के फैसले पर शहर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2017 8:39 AM
सासाराम कार्यालय : गुरुवार का दिन सासाराम नगर पर्षद के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है. पार्षद एक जुट रहे तो आज सासाराम नगर पर्षद में एक नया इतिहास बनेगा. मुख्य पार्षद एवं कार्यपालक पदाधिकारी (इओ) दोनों के पास एक एक मौका है. देखना है बाजी किसके हाथ आती है. आज के फैसले पर शहर का भविष्य टीका है. पार्षदों का निर्णय शहर की दशा और दिशा दोनों तय कर देगा. आज यह पता चल जायेगा कि नगर पर्षद में किसकी चलेगी.
जनप्रतिनिधियों की या नौकरशाही की. दोनों तरफ खेमेबाजी जारी है. गौरतलब है कि गत दिनों नगर पर्षद के 19 सदस्यों ने मुख्य पाषर्द को पत्र लिखकर कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ विशेष बैठक बुलाने की मांग की थी. पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए उन्हें अविलंब हटाने के लिए प्रस्ताव पास करने की बात कही थी. पार्षदों की मांग पर मुख्य पार्षद कंचन देवी ने डीएम व मुख्य सचिव, नगर विकास विभाग को सूचित करते हुए 10 अगस्त को नप की विशेष बैठक आहूत की. इसका एकमात्र एजेंडा कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ प्रस्ताव पास करना है.
28 पार्षद खिलाफ, तो करना पड़ेगा तबादला
आज की बैठक में अगर 28 पार्षद कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ अपना मत देते हैं, तो सरकार को न चाहते हुए भी कार्यपालक पदाधिकारी का तबादला करना पड़ेगा. अगर ऐसा हो जाता है तो यह सासाराम नगर पर्षद के इतिहास में पहला मौका होगा जब जनप्रितिनिधियों की एकजुटता के आगे नौकरशाही फेल हो जायेगी.
वैसे यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह का प्रस्ताव लाया गया हो. वर्ष 2014-15 में करोड़ों रुपये का घोटाला का मामला उजागर हुआ था. उस समय आपसी तनातनी के बाद तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी राजीव रंजन प्रकाश को हटाने के लिए कुछ पार्षद गोल बंद हुए थे.
मुख्य पार्षद को विशेष बैठक बुलाने के लिए पत्र भी लिखा था, लेकिन किसी कारणवश बैठक नहीं हो सकी थी. उस वक्त कार्यपालक पदाधिकारी व मुख्य पार्षद नाजिया बेगम सहित कई पार्षद भी घोटाले का आरोप झेल रहे थे. शायद इस लिए उस वक्त पार्षद एकजुट नहीं हो सके थे. लेकिन, अब स्थिति बदल चुकी है आज की तारीख में अधिकांश पार्षद नये हैं या बेदाग है. पार्षदों के रूख को देखते हुए कार्यपालक पदाधिकारी भी अपनी कुर्सी बचाने की जुगत में हैं.

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