दिनारा (रोहतास) : इंटर ऑर्ट्स में स्टेट टॉपर बननेवाली रीमा कुमार ने शहरी चकाचौंध से दूर गांव में रह कर संसाधनों की कमी के बीच पढ़ाई की है. सबसे अहम यह है कि गरीबी में जीवन बसर कर रीमा ने बुधवार को वह करिश्मा कर दिखाया, जिससे जिले का नाम गौरवान्वित हुआ. रीमा के माता-पिता बहुत ही साधारण परिवार से आते हैं.
उसके पिता के पास सिर्फ तीन बिगहा खेत है. वह प्राइवेट स्कूल में पढ़ा कर किसी तरह परिवार को चलाते हैं. रीमा ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वह पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामकाज में भी काफी सहयोग करती है. तमाम संसाधनों की कमी के बीच प्रतिदिन आठ-नौ घंटे पढ़ाई जरूर करती थी.
रीमा ने कहा, उम्मीद तो थी कि अच्छा रिजल्ट आयेगा, लेकिन यह कतई उम्मीद नहीं थी कि मैं स्टेट टॉपर बन जाऊंगी. रिजल्ट आने के बाद मुङो जब इसकी जानकारी अपने परिजनों व मीडियावालों से मिली, तो एक पल के लिए विश्वास नहीं हो रहा था. पर, धीरे-धीरे बधाइयों का तांता लग गया और घर पर पत्रकारों की भीड़ लग गयी, तो मुङो यकीन हो गया कि कड़ी मेहनत काम आ गयी और मैं स्टेट टॉपर बन गयी हूं.
मैं इतनी खुश हूं कि समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहूं. भविष्य के बारे में पूछे जाने पर रीमा ने बताया कि उसने आगे के बारे में अब तक कुछ नहीं सोचा है. फिलहाल, वह स्नातक करने पर ध्यान देगी. स्नातक में अच्छी सफलता मिलने पर आइएएस की तैयारी के बारे में सोचूंगी.
सिविल सर्विस में देखना चाहते हैं पिता
रीमा अपनी सफलता के लिए मां-बाप के साथ-साथ अपने शिक्षकों को श्रेय देती है. उसके पिता जवाहर राय अपनी लाडली को सिविल सर्विस की नौकरी करना देखना चाहते हैं. वह कहते हैं, रीमा की तैयारी के लिए मुङो चाहे जितनी मेहनत करनी पड़े, पर मैं पीछे नहीं हटूंगा. बेटी को आइएएस अधिकारी जरूर बनाऊंगी.
रीमा का बड़ा भाई विकास कुमार वर्ष 2011 में मैट्रिक पास करने के बाद छपरा स्थित पॉलिटेक्निक में पढ़ाई कर रहा है. दिनारा में किराये के मकान में माता-पिता के साथ रह रही रीमा की सफलता पर कॉलेज प्रबंधन भी खुश है. रीमा के पैतृक गांव करगहर प्रखंड के बड़की अकोढ़ी में भी खुशियों का माहौल है.
– मनोज पांडेय –