न वाहन, न डॉक्टर
सासाराम (नगर) : तीन वर्ष पूर्व अस्तित्व में आये सूबे के इकलौते महिला सशस्त्र वाहिनी केंद्र में इन दिनों मूलभूत संसाधनों व सुविधाओं की कमी है. न तो यहां वाहन की व्यवस्था है और न ही डॉक्टर की. जीवनरक्षक दवा व डॉक्टर की उपलब्धता नहीं होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. […]
सासाराम (नगर) : तीन वर्ष पूर्व अस्तित्व में आये सूबे के इकलौते महिला सशस्त्र वाहिनी केंद्र में इन दिनों मूलभूत संसाधनों व सुविधाओं की कमी है. न तो यहां वाहन की व्यवस्था है और न ही डॉक्टर की. जीवनरक्षक दवा व डॉक्टर की उपलब्धता नहीं होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यूनिट में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिला व पुलिस कांस्टेबुलों को अपने भरोसे ही स्वस्थ रहना पड़ता है.
बीमार होने पर उन्हें या तो बटालियन से तीन किलोमीटर दूर स्थित सदर अस्पताल जाना पड़ता है या फिर मेडिकल दुकानों से दवा से खरीदनी पड़ती है. पेयजल की समस्या भी यथावत है. पांच सौ कांस्टेबुल व अधिकारियों के लिए बने दफ्तर में सरकार की तरफ से पानी की पूरी व्यवस्था नहीं की जा सकी है. ऐसी स्थिति में प्रशिक्षु कांस्टेबुलों व अधिकारियों को पेयजल की समस्या से एक बार फिर दो चार होना पड़ेगा.
472 कांस्टेबुलों को दी जाती है ट्रेनिंग
महिला सशस्त्र वाहिनी केंद्र में सात कंपनी यानी लगभग साढ़े चार सौ कांस्टेबुलों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है.
फिलहाल चार पुरुष कांस्टेबुल को ट्रेनिंग दी जा रही है. अगले कुछ दिनों में महिला कांस्टेबुलों को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया शुरू होगी. जानकारी के मुताबिक, सात कंपनी में से एक कंपनी मुख्यालय में है, जबकि ‘ए’ कंपनी को पटना, ‘बी’ कंपनी गया, ‘सी’ कंपनी मुजफ्फरपुर, ‘डी’ कंपनी को छपरा, ‘इ’ कंपनी को दरभंगा तथा ‘एफ’ कंपनी को पूर्णिया में तैनात किया गया है.
खराब पड़े चापाकल
पेयजल मुहैया कराने के नाम पर बटालियन में नौ चापाकल हैं. लेकिन, मरम्मती के अभाव में तीन चापाकल पिछले छह माह से खराब हैं. न तो विभाग ही बेकार पड़े चापाकल को दुरुस्त करा सका है और न हीं केंद्र में पदस्थापित अधिकारी ही उन्हें ठीक कराना उचित समझ रहे हैं.