बिजली सब्सिडी बंद हुई तो उपभोक्ताओं को लगेगा दोगुना चार्ज

पटना : प्रदेश में बिजली की सब्सिडी मिलनी बंद हुई तो उपभोक्ताओं को दो गुणा ज्यादा की दर पर बिल का भुगतान करना होगा. वर्तमान में 50 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर ग्रामीण क्षेत्रों में सब्सिडी के आधार पर प्रति यूनिट 2.65 रुपये देनी होती है, लेकिन अगर सरकार सब्सिडी न दे तो उपभोक्ताओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2017 7:10 AM
पटना : प्रदेश में बिजली की सब्सिडी मिलनी बंद हुई तो उपभोक्ताओं को दो गुणा ज्यादा की दर पर बिल का भुगतान करना होगा. वर्तमान में 50 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर ग्रामीण क्षेत्रों में सब्सिडी के आधार पर प्रति यूनिट 2.65 रुपये देनी होती है, लेकिन अगर सरकार सब्सिडी न दे तो उपभोक्ताओं को 5.15 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा.
वहीं, शहरी क्षेत्रों में 100 से ज्यादा यूनिट बिजली खर्च पर बिना सब्सिडी के 1.80 से 2.40 रुपये तक प्रति यूनिट अतिरिक्त देना होगा. बिजली वितरण कंपनी ने बिहार विद्युत विनियामक आयोग को सब्सिडी के साथ-साथ जीरो सब्सिडी के टैरिफ का प्रस्ताव दिया है. सब्सिडी और बिना सब्सिडी का यह प्रस्ताव पहली बार विद्युत विनियामक आयोग के सामने आया है.
2017 से लागू हुई टैरिफ व्यवस्था के लिए बिजली वितरण कंपनी ने जीरो सब्सिडी पर प्रस्ताव दिया था. विद्युत विनियामक आयोग ने करीब 55% बढ़ोतरी के साथ लागू करने की सिफारिश की, जिसे सरकार ने 35% की सब्सिडी के साथ लागू किया. प्रस्ताव में ग्रामीण क्षेत्रों में 50 यूनिट से कम बिजली खर्च करने पर राशि में छूट दी जा रही है, वहीं शहरी क्षेत्रों 100 यूनिट तक यह सुविधा है. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 50 से ज्यादा यूनिट की बिजली खर्च करने पर और शहरी क्षेत्रों में 100 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने पर उपभोक्ताओं को वर्तमान यूनिट दर से ज्यादा राशि खर्च करनी होगी.
बिजली कंपनियों के नुकसान की वजह से मिलती है सब्सिडी
राज्य सरकार बिजली कंपनियों के नुकसान को कम करने के लिए सब्सिडी देती है. बिजली कंपनी से उपभोक्ताओं को समय पर बिजली का बिल नहीं मिलता, बिल की वसूली नहीं होती जिससे नुकसान होता है.
अभी भी करीब 40% का नुकसान चल रहा है. कंपनी को यह नुकसान कम कर 29% तक लाना है. कंपनी इस राशि को उपभोक्ताओं से वसूलने को लेकर बिना सब्सिडी के टैरिफ तय करती है. सरकार ने नयी व्यवस्था के तहत सब्सिडी की राशि सीधे बिजली कंपनियों को न देकर उपभोक्ताओं के बिल में ही अंकित कर रही है.

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