धान से भरे हैं जिले के सभी स्थायी व अस्थायी गोदाम
सासाराम कार्यालय : खेतों से गेहूं की फसल काट कर किसानों ने अनाज तैयार कर रखा है, लेकिन सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीद (अधिप्राप्ति) कैसे व कब शुरू होगी, इसे लेकर अब तक न तो पैक्स को कोई दिशा निर्देश प्राप्त हुआ है और न ही स्टेट फूड कॉरपोरेशन (एसएफसी) के क्रय केंद्रों को.
इधर, प्रशासन अभी धान खरीद की रिपोर्ट तैयार करने में ही उलझा है. इन सबके बीच सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि सरकार के निर्देश पर प्रशासन किसानों से गेहूं खरीदती है, तो रखेगी कहां? चूंकि, जिले के अधिसंख्य गोदाम पहले से ही धान से भरे पड़े हैं. कई स्थानों पर तो जगह के अभाव में धान खुले में रखे हुए हैं. ऐसे में खरीदे गये गेहूं को सुरक्षित रखना प्रशासन के लिए टेढ़ी साबित होगी.
एसएफसी अधिकृत नोडल एजेंसी नियुक्त
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में गेहूं की खरीद के लिए एसएफसी को अधिकृत नोडल एजेंसी नियुक्त किया है. एसएफसी व पैक्स के माध्यम से रोहतास जिले के किसानों से गेहूं खरीद कर भारत सरकार की जन वितरण प्रणाली व्यवस्था के तहत बीपीएल व राशन कार्डधारियों को बांटना है.
बाजार में अधिक मिल रहा गेहूं का दाम
फिलहाल, जिले में गेहूं खरीद को लेकर कोई सुगबुगाहट तक नहीं है. उधर, सरकार ने गेहूं खरीद का जो समर्थन मूल्य रखा है, उससे कहीं अधिक भाव बाजार में ही मिल जा रहा है. सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1400 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की है, लेकिन किसानों के खेतों से ही बड़े व्यापारी 1450-1500 प्रति क्विंटल गेहूं खरीद रहे हैं. ऐसी स्थिति में सरकार की गेहूं अधिप्राप्ति का हश्र क्या होगा, यह चिंता का विषय है.