निगरानी डीएसपी ने खंगालीं घोटाले से संबंधित सभी फाइलें
वर्ष 2014-15 में हुआ था 3.50 करोड़ रुपये का घोटाला सासाराम कार्यालय : नगर पर्षद का घोटाले का जिन्न पीछा नहीं छोड़ रहा है. एक बार फिर नगर पर्षद में हुए करीब 3.50 करोड़ रुपये के घोटाले की फाइल खंगाली जाने लगी है. शुक्रवार को निगरानी के डीएसपी एनके राम ने वर्ष 2014-15 में हुई […]
वर्ष 2014-15 में हुआ था 3.50 करोड़ रुपये का घोटाला
सासाराम कार्यालय : नगर पर्षद का घोटाले का जिन्न पीछा नहीं छोड़ रहा है. एक बार फिर नगर पर्षद में हुए करीब 3.50 करोड़ रुपये के घोटाले की फाइल खंगाली जाने लगी है. शुक्रवार को निगरानी के डीएसपी एनके राम ने वर्ष 2014-15 में हुई खरीद मामले की फाइलों की जानकारी इकट्ठा की. निगरानी के इस कार्रवाई से नगर पर्षद की राजनीति में गरमाहट आ गयी. इस संबंध में निगरानी डीएसपी ने बताया कि पूर्व में हुए एलईडी लाइट, एलईडी स्क्रीन डिसप्ले, डेकोरेटेड लैंप आदि के खरीदगी की जानकारी ली गयी है. इससे अधिक अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि घोटाले के तीन आरोपित जो जेल गये थे.
उनके साथ एक अन्य आरोपित को बेल मिल चुका है. दो अन्य आरोपित को कोर्ट से राहत मिली है. डीएसपी ने कहा कि अभी जांच जारी है. जल्द ही कुछ परिणाम सामने आयेंगे.
ज्ञातव्य हो कि ज्ञातव्य हो कि नगर पर्षद में वर्ष 2014-16 के बीच करोड़ों रुपये के लाइट, लैपटॉप, रेडीमेड यूरिनल-शौचालय आदि की खरीद में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता की निगरानी ने पटना स्थित अपने कोर्ट में दिनांक सितंबर 2016 को मामला दर्ज करइसी 24 अप्रैल 2017 को निगरानी की टीम ने निवर्तमान मुख्य पार्षद नाजिया बेगम, उस समय की सशक्त स्थायी समिति सदस्य रीता सिन्हा व विनोद प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया था. उस समय उप मुख्य पार्षद चंद्रशेखर सिंह, शशि पांडेय व मीरा कौर निगरानी के हाथ नहीं लगी थी.
सामग्री खरीद में हुआ था घोटाला
वर्ष 2014 से 2016 के बीच नगर पर्षद में करीब साढ़े सात करोड़ रुपये के लैपटॉप हाईमास्ट लाइट, एलईडी लाइट, डेकोरेटिव पोल स्ट्री, एलईडी स्क्रीन डिसप्ले आदि की खरीद हुई थी. उसमें घोटाले का आरोप लगा था.
खिलाफ में हुआ था आंदोलन
करोड़े के घोटाले को लेकर निवर्तमान पार्षद दशरथ प्रसाद व अतेन्द्र कुमार सिंह सहित कई पार्षदों ने नुक्कड़ नाटक व धरना-प्रदर्शन किया था. पार्षदों की मांग पर निर्वतमान प्रभारी जिलाधिकारी आरके झा ने जांच का आदेश देते हुए जांच कमेटी का गठन किया था. जांच के आधार पर ही मामले को निगरानी ने लिया था. और कार्रवाई की थी.