अवैध खनन कारोबार से फाइनेंस का बाजार गरम
सासाराम कार्यालय : 2005-06 से रोहतास जिले में क्रशर उद्योग को नये सिरे से परवान चढ़ाने के लिए लाइसेंस देने की शुरुआत हुई. उसके बाद से 2012-13 तक सासाराम व डेहरी समेत जिले में फाइनेंस कंपनियों के बाजार में काफी तेजी से उछाल आयी. इसका नतीजा हुआ कि कल तक शहर में एक भी फाइनेंस […]
सासाराम कार्यालय : 2005-06 से रोहतास जिले में क्रशर उद्योग को नये सिरे से परवान चढ़ाने के लिए लाइसेंस देने की शुरुआत हुई. उसके बाद से 2012-13 तक सासाराम व डेहरी समेत जिले में फाइनेंस कंपनियों के बाजार में काफी तेजी से उछाल आयी. इसका नतीजा हुआ कि कल तक शहर में एक भी फाइनेंस कंपनी के नाम पर वाहनों का फाइनेंस करनेवाला कोई नहीं था.
लेकिन, 2006 के बाद से जिले में फाइनेंस कंपनियों के बाजार में किस तरह से उछाल आया, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है मौजूदा समय में केवल सासाराम व डेहरी में करीब 12 से अधिक कार्यरत फाइनेंस कंपनियां, जो आसान प्रक्रिया में भारी व महंगे वाहन जैसे कि हाइवा, हिटैची, डंपर, ट्रक व ट्रैक्टर आसान किस्तों में उपलब्ध करा रहे हैं. ऋण सुविधा भी इतना आसान कि सामान्य व्यक्ति भी आकर्षित होकर इससे मुनाफा कमाने के लिए गाड़ियों का फाइनेंस करा रहे हैं.
आसान किस्तों में उपलब्ध हैं महंगे वाहन : एक दौर था जब कृषि कार्य के लिए भी ट्रैक्टर लेने में किसानों को बैंकों व कंपनियों के काफी चक्कर लगाने पड़ते थे. वहीं अब कई फाइनेंस कंपनियों के बाजार में आने से कम खर्च व आसानी से लोगों को महंगे व भारी वाहन उपलब्ध हो रहे हैं. फाइनेंस से जुड़े एक व्यवसायी ने बताया कि खनन कार्य से जुड़े लोगों में भारी वाहनों की जबरदस्त मांग है, जो किसी भी कीमत पर वाहन को रखना चाह रहे हैं. खनन कार्यों में इनकी आवश्यकता भी है.
जैसे कि हिटैची, हाइवा, जेसीबी या डंपर इन सभी की कीमत औसतन बीस लाख से ऊपर की है. बावजूद इसके क्रशर उद्यमी इसे लेने के लिये ललायित हैं. दो महीने पहले नंबर लगाने के बाद इनकी डिलिवरी होती है. फिर भी व्यवसायी हर कीमत पर उसे पाने की चाह रखते हैं. कारण कि इन व्यावसायिक वाहनों से खदान क्षेत्र में काम लेने के अलावा अन्य ठेकेदारी के कार्यों में भी इनका उपयोग होता है. इसके अलावा किराये पर भी ठेकेदारों द्वारा इन उपकरणों की मांग सालों भर बनी रहती है.