ये है जानी बाजार : दिन में भीड़, रात में डर

दिन में स्टील के बर्तनों से सजा रहता है यह बाजार सासाराम ऑफिस : सच पूछा जाये तो शहर का हर हिस्सा अपने में महत्वपूर्ण है. परंतु, आज हम जिस एरिया की हम बात कर रहे हैं, वह शहर का एक अतिमहत्वपूर्ण हिस्सा ‘जानी बाजार’ है. जहां खूबसूरत स्टील से बने बर्तन बेचे जाते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2018 5:21 AM
दिन में स्टील के बर्तनों से सजा रहता है यह बाजार
सासाराम ऑफिस : सच पूछा जाये तो शहर का हर हिस्सा अपने में महत्वपूर्ण है. परंतु, आज हम जिस एरिया की हम बात कर रहे हैं, वह शहर का एक अतिमहत्वपूर्ण हिस्सा ‘जानी बाजार’ है. जहां खूबसूरत स्टील से बने बर्तन बेचे जाते हैं. इसके खरीदार दूर-दूर से आते हैं. इसी इलाके में दो संगत भी हैं, जहां सिख धर्मावलंबी मत्था टेकने आते हैं. लेकिन, इस एरिया में एक बहुत बड़ी खामी अंधेरे के शक्ल में है. इस इलाके में जब तक स्टील की जगमगाती दुकानें खुली रहती हैं, तब तक तो सही है.
जगमगाती लाईटों के बुझते ही इस संपूर्ण इलाके में अंधेरा छा जाता है. इलाके में नगर पर्षद द्वारा लगायी गयी स्ट्रीट लाईटें अपना समय पूरा कर चुकी हैं, जिससे इलाके में अंधेरे ने अपना पैर पसार लिया है. दूर-दराज से आनेवाले खरीदार, यात्री व इस इलाके के लोगों को परेशानी होती है.
इस बाजार रोड से होकर मोहल्ला नीम काले खां, बस्ती मोड़, भारतीगंज करपुरवा आदि मुहल्ले में जाता है. इधर, के लोग इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. जानी बाजार सहित इससे सटे कई गलियारों में शाम ढलने के बाद अंधेरा रहता है.
रिहायशी इलाकों में भी रोशनी नहीं
इस बाजार से सटे अधिकतर गलियारे अंधेरे में ही डूबे रहते हैं. रिहायशी इलाकों की ओर जाने वाली सड़कों पर रोशनी का पर्याप्त इंतजाम नहीं है. बाजार सहित इसके भीतरी हिस्सों में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं. बाजार व इसके गलियारे के बुजुर्ग व महिलाएं शाम ढलने के बाद घरों से निकलने में भी कतराते हैं. कई लोगों ने सुबह में सैर करना ही बंद कर दिया है.

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