बारिश नहीं कर सकी तृप्त, अब बोरिंग बुझा रही धरती की प्यास
पर्याप्त बारिश नहीं होने से बोरिंग चला कर बिचड़ा लगा रहे किसान सरकारी आंकड़ों में 35 से 38 फीसदी बिचड़ा लगाने का किया जा रहा दावा आसमान की ओर नजरें टिकाये हैं किसान हिसुआ : क्षेत्र में अच्छी बारिश नहीं हुई, लेकिन अब किसान बिचड़ा लगाने में लग गये हैं. इसके लिए उन्हें बोरिंग का […]
पर्याप्त बारिश नहीं होने से बोरिंग चला कर बिचड़ा लगा रहे किसान
सरकारी आंकड़ों में 35 से 38 फीसदी बिचड़ा लगाने का किया जा रहा दावा
आसमान की ओर नजरें टिकाये हैं किसान
हिसुआ : क्षेत्र में अच्छी बारिश नहीं हुई, लेकिन अब किसान बिचड़ा लगाने में लग गये हैं. इसके लिए उन्हें बोरिंग का सहारा लेना पड़ रहा है़ किसान कहीं खेतों को तैयार कर रहे हैं, तो कहीं बिचड़ा लगाने में लोग व्यस्त है
जून माह में दो-तीन दिन ही बारिश हुई है़ जुलाई माह में पहली व दूसरी तारीख को हल्की बारिश हुई़ जबकि किसानों को तेज बारिश की जरूरत है. क्षेत्र में बेहतर धान होनेवाले इलाकों के किसान परेशान हैं.
किसान वासुदेव महतो, बैजनाथ महतो, नरेश महतो, सोनी महतो, लाटो यादव, विंदेश्वरी मंडल, बैजनाथ कुशवाहा आदि ने बताया कि अभी बारिश की बड़ी जरूरत है. बिचड़ा रोपने और उसे उगने के लिए पानी की जरूरत है. बिचड़ा तैयार हो जाने पर भी बारिश पर ही निर्भरता है. इधर बिचड़ा रोपने में बोरिंग भी दगा दे रही है. पानी का स्तर काफी नीचे चले जाने की वजह से पहले से की गयी बोरिंग स्थल पर पानी नहीं आ रहा है. बिजली तो किसानों को कमोबेश ठीक मिल रही है पर पानी का स्तर से परेशानी है. प्रखंड के छतिहर, अरियन, बगोदर, धनवां, चितरघट्टी, बढ़ौना, भदसेनी, हदसा, बजरा, सिंधौली आदि क्षेत्रों में बिचड़ा गिर रहा है.
सरकारी आंकड़ों में 38 फीसदी तक बिचड़ा गिर जाने का दावा किया जा रहा है़ हिसुआ के पश्चिमी, उतरी इलाके जहां बेहतर धान की उपज होती है, वहां के किसान जद्दोजहद कर रहे हैं. बारिश हो जाये, तो सभी किसानों को इसका लाभ मिलेगा.जून माह में मात्र पांच दिन बारिश हुई है़ वह भी बहुत कम. 25 दिनों तक बारिश नहीं के बराबर हुई. जुलाई माह में दोनों दिन बारिश हुई है़ लेकिन कम मात्रा में.