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जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराने से सरकार को नहीं मिला करोड़ों रुपये का राजस्व

जमीन की रजिस्ट्री से सरकार को करीब 40 से 50 लाख रुपये राजस्व के रूप में मिले डेहरी कार्यालय : झूला वनस्पति लिमिटेड (जेवीएल) द्वारा लिक्विडेशन में रहे रोहतास उद्योग समूह की खाली पड़ी बांक फाॅर्म की जमीन की खरीदी वर्षों पहले की गयी थी. परंतु, इस जमीन के कुछ ही हिस्से का रजिस्ट्री करा […]

जमीन की रजिस्ट्री से सरकार को करीब 40 से 50 लाख रुपये राजस्व के रूप में मिले

डेहरी कार्यालय : झूला वनस्पति लिमिटेड (जेवीएल) द्वारा लिक्विडेशन में रहे रोहतास उद्योग समूह की खाली पड़ी बांक फाॅर्म की जमीन की खरीदी वर्षों पहले की गयी थी. परंतु, इस जमीन के कुछ ही हिस्से का रजिस्ट्री करा कर जेवीएल अपना उद्योग शुरू कर दिया. शेष बचे जमीन की रजिस्ट्री अब तक नहीं कराये जाने से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नहीं मिल पाया है. हालांकि, इस संबंध में पूर्व एसडीओ के सिंह द्वारा कंपनी को नोटिस दिये जाने की बात बतायी जाती है, परंतु कंपनी के अधिकारियों द्वारा कुछ न कुछ बहाना बना कर रजिस्ट्री करने के मामले को टाला जा रहा है. जानकार बताते हैं कि वर्ष 2011 में जेवीएल द्वारा बांक फॉर्म की 502 एकड़ जमीन करीब 18 करोड़ 25 लाख रुपये में खरीदी गयी थी. इस जमीन के कुछ हिस्से यानी 150 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री ही कंपनी द्वारा करायी गयी है.
उस समय उक्त जमीन की रजिस्ट्री से सरकार को करीब 40 से 50 लाख रुपये राजस्व के रूप में मिले. बाकी बची 252 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री अगर कंपनी द्वारा करायी जाती, तो सरकारी खजाने में करोड़ों रुपये की प्राप्ति होती. ऐसी स्थिति में सरकारी पदाधिकारियों को चाहिए कि कंपनी के ऊपर राजस्व प्राप्ति के लिए शेष बचे जमीन की रजिस्ट्री कराने का दबाव बनाये, ऐसा लोगों का मानना है. जानकार यह भी बताते हैं कि खरीदी गयी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की बात कंपनी के अधिकारियों द्वारा कोर्ट में की जाती है और जब न्यायालय के आदेश पर प्रशासन के लोग अतिक्रमित भूमि को खाली कराने स्थल पर जाते हैं, तो कंपनी का कोई अधिकारी वहां नहीं पहुंचता. इस संबंध में कंपनी के एक अधिकारी से बात करने पर वे कुछ भी कहने में असमर्थता जताते हैं.
अब तक कंपनी द्वारा करायी गयी है मात्र 150 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री
आश्वासन के बाद भी केंद्रीय विद्यालय के लिए नहीं मिली जमीन
डेहरी अनुमंडल क्षेत्र के लोग कंपनी के मालिक पर इस बात को लेकर नाराज हैं कि सार्वजनिक मंच से कंपनी के मालिक द्वारा इस क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए जमीन उपलब्ध कराने की बात कह कर नहीं दिया गया. यह क्षेत्र के लोगों के साथ छल करने के समान है. सांसद प्रतिनिधि अजय कुमार सिंह ने भी केंद्रीय विद्यालय के लिए बांक फार्म में जमीन प्राप्त करने के प्रयास के दौरान कंपनी के मालिक व अधिकारियों से कई बार बात की. परंतु नतीजा सार्थक नहीं निकला. अनुमंडल क्षेत्र के निवासी संजय गुप्ता, धर्मेंद्र कुमार, सुरेंद्र कुमार, अरविंद सिंह, भोला सिंह, नीरज कुमार आदि का कहना है कि स्थानीय सांसद द्वारा डेहरी अनुमंडल क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा पर क्षेत्र के लोगों में खुशी थी, परंतु सार्वजनिक मंच से कंपनी के मालिक द्वारा यह कहे जाने के बावजूद कि 10 एकड़ भूमि केंद्रीय विद्यालय के लिए बाक फार्म की भूमि में से उपलब्ध करायी जायेगी, नहीं दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. भूमि की अनुपलब्धता के कारण ही यहां बनने वाला केंद्रीय विद्यालय औरंगाबाद जिले में बनाया गया.
जानकारी लेकर की जायेगी कार्रवाई
बांक फार्म की जमीन की रजिस्ट्री अब तक क्यों नहीं करायी गयी इस संबंध में जानकारी प्राप्त कर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
गौतम कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी, डेहरी
सिक इंडस्ट्री घोषित कर सरकारी लाभ लेने का खेल तो नहीं!
लोगों का कहना है कि आम जनता को ठगने के बाद कहीं कंपनी के अधिकारी जेबीएल राइस मिल को सिक इंडस्ट्रीज घोषित करा कर सरकार से आर्थिक लाभ लेने का षड्यंत्र तो नहीं चल रहे हैं. इस पर सरकार द्वारा जांच करानी चाहिए. आवाज जन जागृति मंच सामाजिक संगठन के अध्यक्ष व डेहरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व प्रत्याशी रहे कुमार विनोद सिंह कहते हैं कि एक ही कैंपस में जेबीएल के दो इंडस्ट्री कायम है जिसमें से एक इंडस्ट्री तो चल रही है, लेकिन राइस मिल को बंद कर सिक इंडस्ट्रीज घोषित करा आर्थिक लाभ लेने की फिराक में कंपनी मैनेजमेंट लगा हुआ है. उन्होंने कहा कि जिस कंपनी द्वारा क्षेत्र के विकास के लिए 10 एकड़ भूमि विद्यालय खोलने के नाम पर कह कर नहीं उपलब्ध कराया गया उस कंपनी को किसी भी प्रकार का सरकारी आर्थिक लाभ जो आम जनता की गाढ़ी कमाई द्वारा जमा पूंजी है को नहीं देना चाहिए.

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