शराबबंदी के बाद : तेंदुनी चौक का नाम लेते ही भय खाते थे लोग, अब वहां घंटों समय बिताते हैं

चंद्रमोहन चौधरी शराब का धंधा छोड़ खोलीं दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानें बिक्रमगंज : शराबबंदी से पहले शहर के तेंदुनी चौक के पास सभी पथों पर शाम होते ही शराबियों का जमावड़ा लगने लगता था. आमलोग शाम होने के पहले ही तेंदुनी चौक छोड़ देते थे. अगर कोई काम भी होता था तो लोग आने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2018 7:35 AM
चंद्रमोहन चौधरी
शराब का धंधा छोड़ खोलीं दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानें
बिक्रमगंज : शराबबंदी से पहले शहर के तेंदुनी चौक के पास सभी पथों पर शाम होते ही शराबियों का जमावड़ा लगने लगता था. आमलोग शाम होने के पहले ही तेंदुनी चौक छोड़ देते थे. अगर कोई काम भी होता था तो लोग आने में भय खाते थे. खासकर डुमरांव रोड पर तो लोग जाना नहीं चाहते थे. सोचते थे कि कहीं किसी शराबी से पाला न पड़ जाये. आये दिन मारपीट की घटनाएं होती रहती थीं. कई बार गोलीबारी की घटना भी घट चुकी है, लेकिन शराबबंदी के बाद अब वहां देर रात तक लोगों की भीड़ लगी रहती है.
लोग रात में भी चौक के पास स्थित जलपानगृहों में परिवार के साथ बिना भय के आते-जाते हैं. डुमरांव रोड पर वृंदावन मार्केट में जिस दुकान में शराब की बिक्री होती थी. अब वहां दवा और मोबाइल की बिक्री हो रही है. सासाराम रोड पर शराब की दुकान में सुधा दूध का पार्लर तो आरा रोड पर इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खुल गयी हैं.
होश संभालते शराब के धंधे में लिप्त रहने वाले शहर के आरा रोड निवासी कमलेश प्रसाद जो पहले लोगों को शराब परोसता था, अब दवाएं दे रहा है. उसी का भाई जो उसके साथ रह कर उसी धंधे में शामिल है, अब मोबाइल व उसके पार्ट्स बेच रहा है. अब वहीं वृंदावन मार्केट जहां जाने का मतलब शराब पीना लोग समझते थे. अब वहां कई प्रोफेसर व डाॅक्टरों की गपशप का स्थल बन गया है. लोग शाम में खाली समय में वहां बैठते हैं और घंटों गप हांकते हैं. सरकार के एक फैसले ने सैकड़ों घरों की बदहाल आर्थिक स्थिति को न सिर्फ पटरी पर ला दिया है, बल्कि कोई नामचीन व्यापारी या सभ्य नागरिक बन गया है.
क्या कहते हैं लोग
शहर के एएस कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो कमलेश कुमार कहते हैं कि पहले यहां हमलोग खड़ा होना भी पसंद नहीं करते थे, लेकिन अब घंटों बैठ कर गप करते हैं. उसी मार्केट की ऊपरी मंजिल पर रहनेवाले डाॅ शंभु कुमार कहते हैं कि पहले रात में क्लिनिक से आने-जाने में भय लगता था. सोचता था कि आवास बदल दूं, लेकिन शराबबंदी से सारा माहौल ही बदल गया.

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