सासाराम कार्यालय : पेयजल आपूर्ति चाहे शहरी इलाके में हो या ग्रामीण परिवेश में, सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ उन लोगों तक अभी भी नहीं मिल पा रहा है. पानी की घोर किल्लत है. बात यदि शहरों की करें तो पिछले तीन वर्षो में शहरी क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं के तहत 107 चापाकल लगाये गये. सभी चापाकल चेन बोरिंग करके लगाये गये, जिन्हें हीरा बोरिंग भी कहते हैं.
लेकिन, इनका हालत क्या है, कितने चापाकलों का लाभ लोगों को मिल रहा है. यह देखने व जांच का विषय हो सकता है. आपको जान कर हैरानी होगी कि इनमें से आधा से से अधिक चापाकल गरमी शुरू होते ही जवाब दे चुके हैं.
यहां विभाग व पर्षद की निष्क्रियता से इन चापाकलों में व्यय हुए रुपये पानी में ही बह गये. यहां पार्षदों की भूमिका भी शक के दायरे में रही है.