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सासाराम : छेदी पासवान और मीरा के बीच होगा सीधा मुकाबला, काफी मिलाजुला है इस लोकसभा क्षेत्र का मिजाज
कौशिक रंजन पटना (साथ में सासाराम से अनुराग शरण) : सासाराम लोकसभा में विधानसभा की छह सीटें शामिल हैं. इसमें तीन सीटें मोहनिया, भभुआ और चैनपुर कैमूर जिले में आती हैं तथा चेनारी, सासाराम एवं करगहर सासाराम का अंग है. दो जिलों की सीटों को मिलाकर बनाये गये इस लोकसभा क्षेत्र का मिजाज भी काफी […]
कौशिक रंजन
पटना (साथ में सासाराम से अनुराग शरण) : सासाराम लोकसभा में विधानसभा की छह सीटें शामिल हैं. इसमें तीन सीटें मोहनिया, भभुआ और चैनपुर कैमूर जिले में आती हैं तथा चेनारी, सासाराम एवं करगहर सासाराम का अंग है. दो जिलों की सीटों को मिलाकर बनाये गये इस लोकसभा क्षेत्र का मिजाज भी काफी मिलाजुला है.
इस वजह से इस सुरक्षित क्षेत्र का ताज इस बार किसे मिलेगा, यह कहना बेहद कठिन है. हालांकि, यहां मुकाबला सीधा दो गठबंधनों एनडीए और यूपीए के बीच है. एनडीए की तरफ से भाजपा के वर्तमान सांसद छेदी पासवान चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं, तो उनके सामने कांग्रेस की मीरा कुमार लड़ रही हैं. दोनों सांसदों की इस क्षेत्र में पुरानी पहचान हैं. यहां के स्थानीय लोग दोनों जनप्रतिनिधियों से भलीभांति परिचित हैं.
छेदी पासवान यहां से तीन बार और मीरा कुमार दो बार सांसद रह चुकी हैं. मीरा कुमार ने दोनों बार 2009 और 2004 में भाजपा के मुनी लाल को हराकर जीत हासिल की थी. जबकि, पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा के टिकट पर लड़ रहे छेदी पासवान से मीरा कुमार 63 हजार वोटों से हार गयी थीं.
धरोहर को आगे बढ़ाने और सीट बचाने की चुनौती
मीरा कुमार के साथ उनके पिता बाबू जगजीवन राम की राजनीतिक विरासत भी इस क्षेत्र से जुड़ी हुई है. बाबू जगजीवन राम 1952 से 1984 तक आठ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. 1962 से 1984 तक वह छह बार लगातार यहां से सांसद रहे हैं. पिता की इतनी मजबूत धरोहर को आगे बढ़ाने की चुनौती इस बार मीरा कुमार के सामने हैं, तो सांसद छेदी पासवान के सामने अपनी सीट को बचाये रखने की जद्दोजहद है.
जनता का मूड किस तरफ जाता है, यह समझना बहुत मुश्किल है. यहां वोटरों की संख्या 17 लाख के आसपास है. पिछले कुछ लोकसभा चुनाव के दौरान यहां वोटिंग का औसत प्रतिशत 52 से 55 फीसदी तक रहा है. क्षेत्र कुशवाहा बहुल तो है. यहां 30-35 फीसदी वोटर इसी समाज के हैं, लेकिन एससी के साथ यादव एवं राजपूत समाज के लोग निर्णायक वोटर साबित होते हैं.
सासाराम
वोट बैंक में सेंधमारी की हो रही है कोशिश
इसके मद्देनजर इस बार दोनों उम्मीदवार पूरी कोशिश में लगे हैं कि किसी तरह का समीकरण बैठाकर वे हर जाति का वोट पा सकें. इसके लिए वे सभी जातियों के वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरजोर कोशिश में लगे हुए हैं.
नाराजगी, पसंद और नापसंद के अलावा कई तरह के समीकरणों को लेकर क्षेत्र का मिजाज ऐसा बन गया है कि जो उम्मीदवार जितनी ज्यादा मेहनत करेगा और अपनी तरफ अधिक से अधिक संख्या में वोटरों को रिझाने में कामयाब होगा, उसी के सिर इस क्षेत्र का ताज होगा. इस बार जीत का पूरा दारोमदार सिर्फ इस बात पर निर्भर करेगा कि सभी वर्ग के वोटरों को कौन कितनी संख्या में अपनी बातों और वादों से खुश कर सकता है.
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