सुविधाओं से वंचित हैं बिरहोर प्रजाति के लोग

सासाराम कार्यालय : वर्तमान समय में प्लास्टिक के बिना बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कल्पना नहीं की जा सकती. फर्नीचर हो या अन्य उपयोगी सामान प्लास्टिक के टिकाऊ व सस्ते होते हैं. ऐसे में प्लास्टिक की उपयोगिता बढ़ गयी है. इसी कड़ी में प्लास्टिक का कैरी बैग अब शहर व प्रशासन के लिए नासूर बनने लगा है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2019 8:13 AM

सासाराम कार्यालय : वर्तमान समय में प्लास्टिक के बिना बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कल्पना नहीं की जा सकती. फर्नीचर हो या अन्य उपयोगी सामान प्लास्टिक के टिकाऊ व सस्ते होते हैं. ऐसे में प्लास्टिक की उपयोगिता बढ़ गयी है. इसी कड़ी में प्लास्टिक का कैरी बैग अब शहर व प्रशासन के लिए नासूर बनने लगा है.

प्लास्टिक का पॉली बैग पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है. ऐसे में इसके इस्तेमाल को लेकर प्रशासन सख्त हुआ है, तो अाम लोग सब कुछ जानते हुए भी इसके इस्तेमाल के लिए कुछ हद तक बाध्य हो रहे हैं. कुछ आदतन बाध्य हैं, तो कुछ आर्थिक कारणों से प्रतिबंधित पॉली बैग के इस्तेमाल को बाध्य हो रहे हैं.
यह किस तरह लोगों के रोजमर्रा के काम में शामिल है कि जिले में एक माह में करीब 10 टन खपत है़ आम लोगों को इसका बेहतर व सस्ता विकल्प नहीं मिल रहा है. इसके लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है, तो समाज के पास सीमित विकल्प. तभी तो जुर्माने की कार्रवाई के बावजूद लोग इसके इस्तेमाल का मोह नहीं छोड़ पा रहे है.
पॉलीथिन के निस्तारण की नहीं है व्यवस्था : सरकार या प्रशासन के पास पॉलीथिन के निस्तारण की कोई योजना नहीं है. इस संबंध में नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी कुमारी हिमानी कहती हैं कि अभी कचरा को एक जगह इकट्ठा करने के लिए जमीन की व्यवस्था की गयी है. सरकार की ओर से पॉलीथिन के निस्तारण के लिए कोई योजना नहीं आयी है. ईओ की बातों पर गौर करें, तो प्रशासन को पॉलीथिन पर प्रतिबंध के अलावा कोई रास्ता नहीं है.
पर्यावरण के लिए घातक है पॉली बैग
पॉली बैग पर्यावरण के लिए घातक है. मिट्टी में दबने के बाद पानी को रोकता है. इससे खेतों की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. जमीन में पानी के फिल्टरेशन में भी पॉली बैग अवरोध पैदा करते हैं. प्रत्यक्ष रूप से शहरों के नालियों के जाम में यह बड़ा कारण बन रहे हैं. जिसके कारण सरकार को सफाई पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है.
डॉ प्रवीण सिन्हा कहते हैं कि दुधारू पशु घास व पॉली बैग में अंतर नहीं कर पाते. ऐसे में घास के साथ वे पॉली बैग को खा जाते हैं, जिसका परिणाम होता है उनकी अकाल मृत्यु. और इससे भी अधिक कुप्रभाव उसके दूध पीने वालों के शरीर पर पड़ता है. हम यह कह सकते हैं कि पॉलीथिन खाये पशु के दूध पीने से कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में लोग आ सकते हैं.
बच्चों के बेहतर जीवन का करें ख्याल
अपने बच्चों के बेहतर जीवन के लिए लोगों को कुछ अधिक खर्च करना चाहिए. पॉलीथिन हमारे जीवन पर असर डाल रहा है. अगर हम स्वयं ही इस दिशा में कदम नहीं उठायेंगे, तो बच्चों का भविष्य बर्बाद होगा. प्रतिबंध तो जारी रहेगा ही, लोगों को एक कदम आगे आना होगा. तभी हम बेहतर पर्यावरण अपने बच्चों को दे सकते हैं.
कुमारी हिमानी, ईओ, नगर पर्षद
कहते हैं लोग
हमारी समस्याओं का कारण प्लास्टिक या अन्य आधुनिक तकनीक नहीं हैं. बल्कि, इनका गलत इस्तेमाल पर्यावरण के घातक बनता जा रहा है. सस्ता विकल्प हमें ढूंढ़ना होगा.
मनीराज सिंह, छात्र, स्नातक सामाजिक कार्य
प्रतिबंध जरूरी है. प्रशासन को कड़ाई से कार्रवाई करनी चाहिए. इसके सस्ते विकल्प व लोगों को जागरूक करने के लिए भी बड़े स्तर पर अभियान चलाना चाहिए.
विनीत प्रकाश, छात्र, स्नातक सामाजिक कार्य

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