पानी और बैठने की व्यवस्था भी मयस्सर नहीं, हुई धक्कामुक्की

सासाराम सदर : दिव्यांगों के लिए सरकार भले सुविधाएं देने का दावा कर रही हो, लेकिन सदर अस्पताल में जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही हैं. अस्पताल में दिव्यांगों के लिए न तो कोई व्हील चेयर है और न ही उठने-बैठने की व्यवस्था. उठने-बैठने की व्यवस्था तो दूर की बात है, यह भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2019 8:27 AM

सासाराम सदर : दिव्यांगों के लिए सरकार भले सुविधाएं देने का दावा कर रही हो, लेकिन सदर अस्पताल में जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही हैं. अस्पताल में दिव्यांगों के लिए न तो कोई व्हील चेयर है और न ही उठने-बैठने की व्यवस्था. उठने-बैठने की व्यवस्था तो दूर की बात है, यह भी कहा जाता है कि पानी ही जीवन है, पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा कसती.

इसके बावजूद सदर अस्पताल में दिव्यांगों के लिए पानी की उचित व्यवस्था नहीं की गयी. पानी पीने के लिए दिव्यांग तरसते रहे. कई दिव्यांग बोतलबंद पानी की इस्तेमाल कर अपनी प्यास बुझायी, तो कई दिव्यांग बिना पानी पिये ही रहे गये.
अवसर था सदर अस्पताल में दिव्यंगता प्रमाणपत्र बनाने का, जहां जिले के विभिन्न प्रखंड़ों से दिव्यांग अपनी दिव्यंगता प्रमाणपत्र बनाने के लिए सदर अस्पताल पहुंचे थे. दिव्यांगों की जांच करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक कार्यालय कक्ष में शिविर का आयोजन किया था.
लेकिन, दिव्यांगों की जांच करने के लिए की गयी व्यवस्थाओं व सुविधाओं में घोर कमी रही. निर्धारित समयानुसार सदर अस्पताल के उपाधीक्षक कार्यालय में दिव्यांगों की जांच प्रक्रिया शुरू की. लेकिन, जांच कराने के लिए कार्यालय के मुख्य गेट पर ही दिव्यांगों को खड़े व धक्का-मुक्की का शिकार होना पड़ा.
दिव्यांगों को ना बैठने की व्यवस्था और पानी पीने की व्यवस्था रही. दिव्यांग इतर-बितर होकर जमीन पर ही बैठे रहे, तो कई पानी पीने के तरसते रहे. कुछ अस्पताल के गार्ड दिव्यांगों का कतारबद्ध कराये. लेकिन, वे सफल नहीं हो सके. क्योंकि कई दिव्यांग कतार में भी खड़े होने में भी असमर्थ थे.
अधिकतर दिव्यांग अपनी बारी के इंतजार करते हुए जमीन पर ही बैठ गये, तो कई मजबूरन खड़े होने पर विवश रहे.जिले के दावथ प्रखंड के गोठानी गांव से आये दिव्यांग हरिहर सिंह ने कहा कि साहब, हमलोग दिव्यांग हैं, ना सही से बैठ सकते हैं और नहीं खड़े हो सकते हैं. इसलिए अस्पताल प्रशासन को दिव्यांगों को बैठने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए. पानी की भी व्यवस्था करनी चाहिए.
कई चिकित्सक रहे गायब
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक कार्यालय में आयोजित दिव्यांगता जांच शिविर में कई चिकित्सक गायब भी रहे. कई चिकित्सक का समय का भी ख्याल नहीं रहा, नोखा के प्रमोद सिंह, करगहर के दीनानाथ कुमार, चेनारी के सुलेखा देवी आदि ने बताया कि अपनी दिव्यंगता जांच करने व प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सुबह से ही हमलोग सदर अस्पताल में पहुंचे हुए है. लेकिन, दोपहर 12 बजने के बाद भी कई चिकित्सक गायब रहे.
जांच करने के लिए कार्यालय में मात्र दो ही चिकित्सक उपस्थित थे. इसमें एक को नाम डॉ नंदलाल चौहान था, दूसरे डॉक्टर का नाम नहीं जानते हैं. ये दोनों डॉक्टर को छोड़ कर शेष डॉक्टर जांच शिविर से गायब ही रहे. इससे जांच करने में काफी देर लगी. वहीं, दिव्यांगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा
सैकड़ों दिव्यांगों की हुई जांच, मिला प्रमाणपत्र
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक कार्यालय में लगे शिविर में अपनी दिव्यांगता पत्र बनवाने के लिए जिले के विभिन्न प्रखंड़ों से दिव्यांगों की सदर अस्पताल में सुबह से ही आने का सिलसिला शुरू हो गया था. लगभग 10 बजते ही दिव्यांगों को जमावड़ा लग गया. शिविर में लगभग सौ से अधिक दिव्यांगों की जांच हुई, इसके बाद उन्हें दिव्यांगता प्रमाणपत्र सौंपा गया.
चिकित्सकों की टीम ने की जांच
दिव्यांगों की जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों की एक टीम बनायी थी. इसमें अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ केएन तिवारी, डॉ पीके कनौजिया, डॉ ब्रजेश, डॉ नंदलाल चौहान आदि चिकित्सक थे, वहीं इस शिविर के सहायक के रूप में कार्य कर रहे कर्मी राम जी, दीपेंद्र, कृष्णा आदि थे. शिविर की अध्यक्षता सिविज सर्जन डॉ जर्नादन शर्मा ने की.

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