मरीजों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़

डेहरी नगर : बदलते मौसम की शुरुआत होते ही संक्रामक बीमारियां धीरे-धीरे अपना पैर पसारना शुरू कर देती हैं. इस कारण ग्रामीण डॉक्टर भी नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अपना जाल फैलाने लगे हैं. अधिकतर मरीज ग्रामीण चिकित्सकों के इलाज कराने में ही संतुष्टि समझते हैं. दरअसल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों और स्टाॅफ की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2019 8:21 AM

डेहरी नगर : बदलते मौसम की शुरुआत होते ही संक्रामक बीमारियां धीरे-धीरे अपना पैर पसारना शुरू कर देती हैं. इस कारण ग्रामीण डॉक्टर भी नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अपना जाल फैलाने लगे हैं. अधिकतर मरीज ग्रामीण चिकित्सकों के इलाज कराने में ही संतुष्टि समझते हैं. दरअसल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों और स्टाॅफ की कमी और मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण लोग बिना डिग्री डिप्लोमा के क्लिनिक संचालित कर रहे ग्रामीण चिकित्सकों से इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं.

ग्रामीण चिकित्सकों ने भी हर गली-मुहल्ले में अपने क्लीनिक खोल लिये हैं, जहां वह कम पैसों में मरीज का उपचार कर उनके जीवन से खिलवाड़ करने में लगे हैं. लेकिन, लंबे समय से संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं किये जाने से इनकी संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है.
जब होती है घटना, तब होती है कार्रवाई : जब ग्रामीण चिकित्सकों के इलाज के दौरान मरीज के साथ कोई घटना घटित होती है, तब शासन-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जागता है और उसके बाद एक या दो ग्रामीण चिकित्सकों के क्लिनिकों में छापा मार कर अपनी जिम्मेदारी पूर्ण कर ली जाती है. पिछले दिनों कैनाल रोड स्थित एक निजी क्लिनिक में प्रसव के दौरान एक महिला की मौत के बाद क्लिनिक में तोड़फोड़ व हंगामा हुआ था.
मौके पर पहुंचे बड़ी संख्या में पुलिस बल ने मामले को शांत कराया था, किंतु स्वास्थ्य विभाग ने मामले को रफा-दफा कर दिया. वहीं डेहरी अनुमंडल क्षेत्र के कस्बे, शहर की गली-मुहल्लों में संचालित ग्रामीण चिकित्सकों की दुकानों पर इन दिनों बिना किसी जांच के गांवों से आनेवाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
गली-मुहल्लों में संचालित क्लनिकों पर ग्रामीण डॉक्टर नब्ज देख कर ही दवा देना शुरू कर देते हैं, जिससे मरीजों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है. वहीं मेडिकल साइंस और दवाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के बावजूद ग्रामीण चिकित्सक हर मर्ज का शर्तिया इलाज करने का दावा करते नहीं थकते. इनसे इलाज करानेवाले मरीजों को फायदा तो नहीं होता, बल्कि उनका मर्ज और बढ़ जाता है.
कई बार जान पर भी बन आती है. कुछ ऐसे ग्रामीण चिकित्सक भी हैं, जो बड़े डॉक्टरों के नर्सिंग होम में कुछ दिन कंपाउंडरी करने के बाद अब अपना क्लिनिक चला रहे हैं. स्थिति यह है कि इनके पास न तो कोई डिग्री है, न कोई इलाज करने का लाइसेंस, फिर भी यह लोगों का इलाज कर रहे हैं. यह स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी व निष्क्रियता को उजागर कर रहा है. जब ग्रामीण चिकित्सक के इलाज से मरीज के साथ कोई घटना घटित होती है, तब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जागता है.
हाइकोर्ट के आदेश का नहीं हो रहा पालन
मालूम हो कि, हाइकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण चिकित्सकों के इलाज करने पर रोक लगाने का निर्देश राज्य शासन को दिया था. लेकिन, उसके बाद भी डेहरी के ग्रामीण क्षेत्र में खुलेआम ग्रामीण चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
वहीं संबंधित विभाग के अधिकारी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जिससे उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं. स्थिति यह है कि इनके पास कोई डिग्री भी नहीं है, है फिर भी लोगों का इलाज कर रहे हैं. यह सब स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी व निष्क्रियता को सामने लाता है.
स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई
स्थानीय निवासी पूर्व सांसद प्रतिनिधि अजय सिंह, शाहनवाज खान, सादिक जफर, इश्तेयाक खान, मुन्ना लाल कसेरा, सहित अन्य लोगों का कहना है कि नगर क्षेत्र में कई ऐसे क्लिनिक संचालित किये जा रहे हैं, जहां ग्रामीण चिकित्सकों द्वारा मरीजों का उपचार किया जा रहा है. कुछ ग्रामीण डॉक्टर ने खुद का मेडिकल स्टोर भी खोल रखा है, जहां फ्री में मिलने वाली दवाओं का विक्रय कर मरीजों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है.
अनुमंडल क्षेत्र में कई जगहों पर अवैध पैथोलॉजी व अल्ट्रासाउंड भी संचालित हैं, जिनके खिलाफ कभी-कभार कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति की है. स्वास्थ विभाग के जिला कार्यालय में तैनात पिंकू कुमार जैसे छद्म नामवाले कर्मियों व अधिकारियों के बल पर फर्जी क्लिनिक व पैथोलॉजी केंद्र संचालक अपना धंधा चमका रहे हैं.
मरीजों का हो रहा आर्थिक व मानसिक शोषण
मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) तथा सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडिया (सीसीआइएम) ने एलोपैथी, आयुर्वेद व यूनानी पद्धति से की जानेवाली चिकित्सा पद्धति को मान्य किया है. इन पद्धति में डिग्री लिये बिना जो लोग मरीजों का इलाज कर रहे हैं, उन्हें फर्जी डॉक्टर कहते हैं. ऐसे डॉक्टर अपने को बड़ा पदनाम देते हुए अवैद्ध तरीके से क्लिनिक चला कर मरीजों का आर्थिक व मानसिक शोषण करते हैं.
इन जगहों पर चल रहे अवैध क्लिनिक
शहर क्षेत्र के मकराइन, शिवगंज, जक्की बिगहा, कैनाल रोड, स्टेशन रोड, पानी टंकी, समेत अकोढ़ीगोला, तिलौथू, रोहतास, नौहट्टा प्रखंड के बाजार में भी अवैध तरीके से क्लिनिक का संचालन कर मरीजों का शोषण होता है. आश्चर्य की बात यह है अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक द्वारा जिले से चल रहे अवैध पैथोलॉजी सेंटरों की सूची मांगी थी, किंतु सदर अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के कर्मी फाइल को दबाए बैठे हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
अवैध निजी क्लिनिक व अवैध पैथोलॉजी के विरोध में समय-समय पर कार्रवाई की जाती है. सूची बना कर एक बार फिर कार्रवाई की जायेगी.
डॉ संजीव कुमार, उपाधीक्षक, अनुमंडल अस्पताल, डेहरी

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