युवाओं के दिल पर राज करते थे राजेंद्र चौधरी

डेहरी नगर : पूर्व चेयरमैन राजेंद्र चौधरी के निधन पर शहर में शोक की लहर है. उनके निधन की खबर फैलते ही लोग उनके घर उनके अंतिम दर्शन के लिए निकल पड़े. वहीं उनकी अंतिम यात्रा में काफी लोग शामिल हुए. इस दौरान लोग राजेंद्र चौधरी अमर रहे, अमर रहे के नारे लगा रहे थे. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2019 8:09 AM

डेहरी नगर : पूर्व चेयरमैन राजेंद्र चौधरी के निधन पर शहर में शोक की लहर है. उनके निधन की खबर फैलते ही लोग उनके घर उनके अंतिम दर्शन के लिए निकल पड़े. वहीं उनकी अंतिम यात्रा में काफी लोग शामिल हुए. इस दौरान लोग राजेंद्र चौधरी अमर रहे, अमर रहे के नारे लगा रहे थे. डेहरी बाजार, पाली रोड होते हुए डेहरी डालमियानगर के श्मशान घाट पर सोन नदी के तट पर राजेंद्र सिंह पंचतत्व में विलीन हो गये. मुखाग्नि उनके पुत्र अजय चौधरी ने दी.

मौके पर उनके पुत्र और वार्ड पार्षद सोनू चौधरी, विक्की कुमार चौधरी, मोहित चौधरी, चेयरमैन विशाखा सिंह, संजीत कुमार सिंह, सुशील कुमार सिंह, काली बाबू, सरोज उपाध्याय, दीपू पासवान, उप चेयरमैन प्रतिनिधि मुन्ना सिंह, भाजपा नेता संजय गुप्ता, बबल कश्यप, सुरेंद्र चौधरी, गिरजाधारी पासवान, धीरज चौधरी, प्यारेलाल ओझा, डेहरी विधायक सत्यनारायण सिंह, थाना प्रभारी सुबोध कुमार, नंदन गुप्ता, लल्लू चौधरी, चंदन चौधरी उमेश चौधरी, मोहन सिंह, राजेंद्र चौधरी सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे.
बताते चलें कि राजेंद्र चौधरी का जन्म 1923 में हुआ था और 19 72 में डेहरी नगरपालिका के चेयरमैन बने. 1972 से 1984 तक नगरपालिका के चेयरमैन रहे. इनकी ही अध्यक्षता में नगरपालिका का गठन हुआ. राजेंद्र चौधरी पूरे शहर में मशहूर थे. इनकी कार्य की प्रशंसा पक्ष और विपक्ष दोनों ही करते थे.
लगातार चार बार चेयरमैन बननेवाले राजेंद्र चौधरी ने ही कोल व्यवसाय को डेहरी में खड़ा किया था. नेहरू सेतु पुल नहीं होने के कारण एनीकट के हनुमान घाट में कोयला डंपिंग होता था. उस समय वह कोल डिपो संघ के अध्यक्ष भी थे. लगातार 1998 तक कोल डिपो के अध्यक्ष रहे और भेड़िया सखरा में कोयला डिपो का भी स्थान उन्हीं ने दिया.
पहलवानी में भी रखते थे दिलचस्पी
राजेंद्र चौधरी को कुश्ती बहुत पसंद थी. वह अपने चौधरी मोहल्ला मड़ई पर युवाओं के लिए कुश्ती सीखने की व्यवस्था हमेशा रखते थे.
वह भी पहलवानी में दिलचस्पी हमेशा रखते थे. उन्होंने ही जय बजरंग अखाड़ा समिति की शुरुआत की, जो आज तक चलती आ रही है. जय बजरंग अखाड़ा समिति दुर्गापूजा, रामनवमी व अन्य धार्मिक कार्यों में अखाड़ा निकालती है. इस अखाड़े में कला का प्रदर्शन खुद राजेंद्र चौधरी आज तक करते आ रहे थे. युवाओं की पहली पसंद थे राजेंद्र चौधरी.
उनकी हंसी थी मशहूर
उनके करीबी मुन्नालाल कशेरा, जमुना पासवान, सुरेंद्र चौधरी, संजीत सिंह व मुन्ना सिंह ने बताया कि वे एक जिंदादिल इंसान थे. उनके लिए युवा और उनके दोस्त उनके हंसी के दीवाने थे. जब वह हंसते थे, तो आसपास के लोग अपने आप को हंसने से नहीं रोक पाते थे. उनकी हंसी एक अलग ही हंसी थी. उनकी हंसी बहुत लंबी होती थी, जो सबको प्यारी लगती थी. आज वह हंसी हम लोगों से दूर हो गयी.

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