सासाराम (ग्रामीण) : जिले के विभिन्न बाजारों में उर्वरक(रासायनिक खाद) की किल्लत विगत एक सप्ताह से हो गयी है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. वहीं जमाखोरों ने खाद की कालाबाजारी भी शुरू कर दी है.
वहीं, अधिकारियों की लापरवाही के कारण ऊंची कीमतों पर खाद किसानों को उपलब्ध करायी जाती है. इससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है.
शिथिल पड़ी गठित समिति
जिलाधिकारी ने अंचल पदाधिकारियों के नेतृत्व में उर्वरक निगरानी समिति का गठन किया था. समिति प्रखंडवार अद्यतन रिपोर्ट भेजती है व कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई करती है. लेकिन, समिति संचिकाओं तक सीमित है. दूसरी ओर नकली खाद की मांग के लिए कमेटी गठित करनी थी, जो नहीं हुई.
उर्वरक की हो रही कालाबाजारी
जिले के नोखा, संझौली,बरांव व राजपुर में धड़ल्ले से खाद की कालाबाजारी हो रही है. दुकानदार दुकान में माल नहीं रख कर गांवों में गोदाम बनाये हुए है, जहां 370 रुपये से 400 रुपये तक प्रति बोरी बेची जा रहा है. सबसे गंभीर स्थिति नोखा की है.
देहातों में हैं कई गोदाम
उर्वरक विक्रेताओं ने कालाबाजारी के लिए देहाती गांवों में भी गोदाम किराये पर रखे गये हैं और इन गोदामों का संचालन स्थानीय लोग दैनिक मजदूरी पर कर रहे हैं. हालांकि, प्रशासन से छुप कर चलाये जा रहे उक्त काउंटर पर उर्वरकों की किल्लत नहीं है. सिर्फ ऊंची कीमत पर खाद बेची जा रही है.
अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल
किसानों ने अधिकारियों के कार्यशैली उंगली उठाना शुरू कर दिया है. किसान विपिन बिहारी तिवारी ने बताया कि प्रशासन की मिलीभगत से उर्वरक बाजार से गायब हैं. इस पर अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.