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फिर पांव पसारने लगे नक्सली संगठन

सासाराम (नगर) : डेढ़ साल पूर्व नक्सलमुक्त की श्रेणी में शामिल रोहतास जिले में फिर से नक्सली संगठन अपने पांव पसारने लगे हैं. सोमवार की शाम रोहतास थाना क्षेत्र से चार नक्सलियों की हुई गिरफ्तार के बाद आम लोगों समेत पुलिस की नींद भी हराम हो गयी है. जानकारों के अनुसार, इसके पीछे का कारण […]

सासाराम (नगर) : डेढ़ साल पूर्व नक्सलमुक्त की श्रेणी में शामिल रोहतास जिले में फिर से नक्सली संगठन अपने पांव पसारने लगे हैं. सोमवार की शाम रोहतास थाना क्षेत्र से चार नक्सलियों की हुई गिरफ्तार के बाद आम लोगों समेत पुलिस की नींद भी हराम हो गयी है.
जानकारों के अनुसार, इसके पीछे का कारण नक्सल विरोधी अभियान व पुलिस के सामुदायिक कार्यक्रम की मंद पड़ी गति है. गौरतलब है कि छह माह पहले भी गया में संपन्न सीआरपीएफ के सम्मेलन में रोहतास को नक्सलमुक्त होने का दावा किया गया था. कल तक चैन-सुकून से जी रहे जिले के पहाड़ी क्षेत्र के लोग नक्सलियों की धमक से अब दहशत में जीने को विवश हैं. इधर, जिले के दूसरे इलाकों में व्यवसायी व आम लोग परेशान दिखने लगे हैं.
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी व उसके समानांतर बने टीपीसी एक बार फिर जिले के दक्षिणी क्षेत्र में पैर पसार रहे हैं. रोहतास थाना क्षेत्र से भाकपा गिरफ्तार नक्सली वीरेंद्र यादव, लल्लू यादव, रामचंद्र सिंह यादव व मन्नू मेहता की स्वीकारोक्ति ने पुलिस की नींद उड़ा दी है. टीपीसी के नेता अजय राजभर की खोज में पुलिस जुट गयी है.
नौहट्टा से अधौरा तक फैल रहा संगठन: रोहतास जिले के नौहट्टा, रोहतास, बड्डी,चेनारी, चुटिया, यदुनाथपुर के अलावा कैमूर जिले के अधौरा थाना क्षेत्र में नक्सली संगठन अपनी जड़े मजबूत करने में लग गये हैं. इस बात को पुलिस के आला अधिकारी भी स्वीकारने लगे हैं. 15 दिन पूर्व नेता अजय राजभर के नेतृत्व में टीपीसी की टोली ने कैमूर पहाड़ी पर बसे कई गांवों में अपनी पैठ बनायी थी. हालांकि, सूचना पर हरकत में आयी पुलिस ने कांबिंग ऑपरेशन चला क्षेत्र में शांति बहाल का प्रयास किया. पुलिस सूत्रों की मानें, तो नये संगठन टीपीसी का काम खासकर ईंट भट्ठा मालिक से लेवी वसूलने व आम लोगों के बीच दहशत फैलाना है.
इसके अलावा भाकपा माओवादी के कई सक्रिय सदस्य व पूर्व के कई वैसे अधिकारी भी नक्सलियों को पनाह देने में जुट गये हैं, जो जमानत पर जेल से छूटे हैं. यह पुलिस के लिए चुनौती बन गयी है.
मंद पड़ने लगा अभियान व कार्यक्रम: पूर्व एसपी विकास वैभव द्वारा चलाये गये पुलिसिंग सामुदायिक कार्यक्रम (पूर्व में सोन महोत्सव) व कांबिंग ऑपरेशन की गति फिलहाल जिले में मंद पड़ने लगी है. एक समय ऐसा था जब माह में कम से कम दो बार नक्सलग्रस्त इलाके के अलावा मैदानी क्षेत्र में पुलिसिंग सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित कर भटके लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाता था. उनके बीच जरूरत के सामान बांटे जाते थे. लेकिन अब यह कार्यक्रम माह में कौन कहे, तीन-चार माह में भी आयोजित नहीं हो रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल कांबिंग ऑपरेशन का भी है. अब लगातार नक्सलियों की गिरफ्तारी से एक बार फिर समय आया है कि पुलिस के पूर्व से संचालित अभियान व कार्यक्रम में तेजी लायी जाये, ताकि नक्सली रोहतास में दोबारा पैर न जमा सकें.
2012 में शुरू हुआ नक्सलमुक्त अभियान: जिला पुलिस, सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन तथा एसटीएफ की चले साझा नक्सली विरोधी अभियान के दरम्यान एक जनवरी 2012 को मुठभेड़ में पुलिस ने कैमूर पहाड़ी के मधकुपिया के जंगल में तीन नक्सली को मारकर नक्सलमुक्त अभियान का श्रीगणोश किया था. लगातार चली कार्रवाई में दो दर्जन से अधिक नक्सली पकड़े गये, तो लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक नक्सली सरकार की पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण कर दिया था.

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