न तो रोजगार मिले है और न ही जमीन. इसके अलावा बंदियों की स्थिति भी अच्छी नहीं है, जबकि लाखों रुपये बंदियों के नाम पर प्रत्येक साल खर्च होते हैं.
जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि पुनर्वास योजना से प्रभावित प्रतिबंधित संगठन के हार्डकोर सदस्यों ने तीन साल पर सरेंडर किया था. इनमें चार नक्सली वादा खिलाफी का आरोप लगा मंगलवार को अनशन पर रहे. अनशनकारियों की मांग से जिलाधिकारी को अवगत करा दिया गया है.