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अभाव के बीच जी रहे जिंदगी

सासाराम (ग्रामीण) : शहर के तकिया मुहल्ला ओवरब्रिज के नीचे गंदे नाली की सरहद व बौलिया स्थित मुख्य सड़क के बगल में दो दशक से भी ज्यादा समय से रह रहे महादलित परिवार सरकार प्रायोजित योजनाओं से वंचित हैं. झोंपड़ी में जीवन बीता रहे ये परिवार इस कड़ाके की ठंड में जिंदगी का जंग लड़ […]

सासाराम (ग्रामीण) : शहर के तकिया मुहल्ला ओवरब्रिज के नीचे गंदे नाली की सरहद व बौलिया स्थित मुख्य सड़क के बगल में दो दशक से भी ज्यादा समय से रह रहे महादलित परिवार सरकार प्रायोजित योजनाओं से वंचित हैं.
झोंपड़ी में जीवन बीता रहे ये परिवार इस कड़ाके की ठंड में जिंदगी का जंग लड़ रहे हैं. कूड़े-कचरे की ढेर में इन परिवारों के बच्चे अपनी रोटी-रोटी व ‘उज्ज्वल भविष्य’ तलाशने को मजबूर हैं.
राज्य व केंद्र सरकार चाहे शिक्षा नीति में चाहे लाख बदलाव कर दिया हो, लेकिन सच्चई यह है कि इन महादलित परिवार के दर्जनों बच्चे आज तक स्कूल नहीं देख पाये हैं और न ही इन परिवारों को घर बनाने के लिए सरकार की तरफ से भूमि आवंटित की गयी है. गंदगी का पर्याय बने इन मुहल्लों में एक पल भी नहीं गुजर सकता. लेकिन, ये परिवार मजबूरी में गंदगी के बीच ही अपनी दिनचर्या पूरी करते हैं.
सुविधाओं से वंचित महादलित: सरकार ने भूमिहीन महादलितों को तीन डिसमिल जमीन देकर इंदिरा आवास बनवाने की घोषणा की है, लेकिन इस योजना का लाभ अब तक इन परिवारों को नहीं मिला है. इन परिवारों को न तो लाल कार्ड मिला है और न ही इनके बच्चों को शिक्षा का अधिकार. दर्जनों परिवार के नाम बीपीएल सूची में भी दर्ज नहीं हैं.
कूड़ा चुन कर परिवार चला रहे बच्चे: इन महादलित परिवारों के बच्चे कूड़े की ढेर में दो जून की रोटी तलाश रहे हैं. सार्वजनिक स्थलों पर फेंके गये डिब्बे एवं पॉलीथिन चुन कर ये बच्चे परिवारों का परवरिश कर रहे हैं. ये महादलित परिवार सांप व गिलहरी (रुखी) मार कर भोजन व जानवरों को मार कर उनके खाल बेच जीविकोपाजर्न करने के लिए बाध्य हैं.
हाथ में कलम की जगह प्लेट: महादलितों के लिए राज्य व केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन ये परिवार इनके लाभ से वंचित है. इनके बच्चे कलम की जगह होटलों में प्लेट धोने को मजबूर हैं. ईंट भट्ठों व खनन क्षेत्र समेत कई अन्य कामों में इन मासूमों को सहारा लिया जाता है. जिले में श्रम कानून अधिनियम की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं.
कानून भी नहीं बना सहारा: सरकार, पुलिस व प्रशासन की नहर में बालश्रम एक अपराध है. सरकारकी घोषणा के मुताबिक, इन महादलितों को बीपीएल कार्ड, इंदिरा आवास योजना व इनके बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिया जाना है. लेकिन, ये घोषणाएं व कानून केवल फाइलों तक सीमित हैं. इन परिवारों को कानून भी न्याय नहीं दिला सका है.
नहीं जलाये गये अलाव: इन दिनों कड़ाके की ठंड में क्या अमीर, क्या गरीब सब ठिठुर रहे हैं. सुखी-संपन्न लोग गरम कपड़ों व हीटर जला कर ठंड से लड़ रहे हैं, लेकिन इन महादलित परिवारों को गरम कपड़े तो दूर, एक अदद कंबल तक नसीब नहीं है. प्रशासन ने इन महादलित मुहल्लों में न तो अलाव जलाये हैं और न ही कंबल ही बांटे हैं. इससे इस कड़ाके की ठंड में महादलित परिवारों को काफी परेशानी हो रही है.

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