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तिलकुट से भरा बाजार

मकर संक्रांति : तिथि को लेकर लोगों में है असमंजस डेहरी ऑन सोन(सदर) : मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में रौनक दिखने लगी है. तिलकुट, लाई, तिलवा, गुड़ व चूड़ा आदि सामग्री से बाजार भर गयी है. लेकिन, लोगों में इस बात की ऊहापोह बनी है कि मकर संक्रांति 14 जनवरी या फिर 15 जनवरी […]

मकर संक्रांति : तिथि को लेकर लोगों में है असमंजस
डेहरी ऑन सोन(सदर) : मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में रौनक दिखने लगी है. तिलकुट, लाई, तिलवा, गुड़ व चूड़ा आदि सामग्री से बाजार भर गयी है. लेकिन, लोगों में इस बात की ऊहापोह बनी है कि मकर संक्रांति 14 जनवरी या फिर 15 जनवरी को.
लगभग पांच दशकों से 14 जनवरी को मनाये जाने वाली मकर संक्रांति पिछले दो वर्षो से 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. हालांकि, अधिकतर लोग 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मानते है व मनाते आ रहे हैं.
क्या हैं संक्रांति: सूर्य बारह स्वरूप धारण कर के बारह महीनों में बारह राशियों पर भ्रमण करते रहते हैं. इस बार 14 जनवरी को रात एक बज कर 19 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा. इसके कारण मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनायी जायेगी.
मकर संक्रांति का क्या है फल: मकर संक्रांति के समय किये गये दान, तप, हवन व तर्पण सब अक्षय होते हैं. यदि मकर संक्रांति बुधवार, गुरुवार, सोमवार व शुक्रवार को होता है तो मानव जाति के लोग स्वस्थ अन्नादियों की बढ़ोतरी और अपने से श्रेष्ठ व राजाओं में परस्पर प्रेम बना रहता है.
क्या कहते हैं आचार्य: पंडित सत्यनारायण मिश्र कहते हैं कि सूर्योदय से पहले अर्थात ब्रह्म मुहूर्त मे स्नान करना श्रेयस्कर माना गया. इससे दस हजार गोदान का फल मिलता है. वहीं, आधी रात में स्नान व दान करना वजिर्त है. 14 जनवरी को रात एक बज कर 19 मिनट पर मकर संक्रांति आ रही है. इसलिए 15 जनवरी को शाम पांच बजे तक मकर संक्रांति मनाया जायेगा.

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