दवाएं व सुविधाएं नदारद
अस्पताल में अत्याधुनिक उपकरण व नया यूनिट तकनीकी कारणों से पड़े बेकार सासाराम (ग्रामीण) : जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है सदर अस्पताल, जो आज खुद ही इलाज को तरस रहा है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह रोहतास जिले से ही आते हैं. लेकिन, सदर अस्पताल संसाधनों व दवाओं का घोर संकट ङोल […]
अस्पताल में अत्याधुनिक उपकरण व नया यूनिट तकनीकी कारणों से पड़े बेकार
सासाराम (ग्रामीण) : जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है सदर अस्पताल, जो आज खुद ही इलाज को तरस रहा है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह रोहतास जिले से ही आते हैं. लेकिन, सदर अस्पताल संसाधनों व दवाओं का घोर संकट ङोल रहा है. वहीं, अस्पताल में लगे अत्याधुनिक उपकरण व नयी यूनिट कुछ तकनीकी कारणों से सफेद हाथी बन कर रह गये हैं.
अस्पताल में न तो इलाज होता है न ही कोई दवाइयां उपलब्ध हैं. सिर्फ कागजी खानापूर्ति के लिए ही कामकाज हो रहा है. साथ ही, अस्पताल संविदा पर बहाल स्वास्थ्यकर्मियों को एक वर्ष से वेतन भी नहीं है.
उद्घाटन के बाद नहीं शुरू हुआ एसएनसीयू
सदर अस्पताल में नवजात देखभाल इकाई (एनएनसीयू) के उद्घाटन को चार महीने हो गये. लेकिन करोड़ों की लागत से बने एनएनसीयू में बिजली कनेक्शन नहीं है. इस कारण यह यूनिट बेकार पड़ी है. कमजोर नवजात बच्चों को वाराणसी या पटना भेजना पड़ता है.
टेली मेडिसिन सेंटर का नहीं मिल रहा लाभ
अस्पताल के टेली मेडिसिन सेंटर से देश के नामचीन चिकित्सकों से ऑनलाइन नि:शुल्क परामर्श लिया जाता था. लेकिन, चिकित्सकों के कमी के कारण सेंटर का कामकाज प्रभावित है. महज ऑपरेटर के सहारे टेली मेडिसिन सेंटर चलाया जा रहा हे. इससे मरीजों को नामचीन चिकित्सकों से परामर्श नहीं मिल पा रहा है.
नहीं खरीदी जा रहीं दवाएं
दवाओं को खरीदने का अधिकार सिविल सजर्न को दिया गया है. लेकिन, राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा दवा खरीद में किये गये घोटाले के बाद स्थानीय विभागीय अधिकारी खरीदी से परहेज करते हैं. इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री भी अब तक खास रुचि नहीं दिखायी है.
बंद पड़ी है जांच
अस्पताल में कई तरह की जांच रासायनिक पदार्थ उपलब्ध नहीं होने से कई जांच बंद पड़ी हैं. केवल टीसी, डीसी, ब्लड ग्रुप व यूरिन की कुछ सामान्य जांच ही हो रही है. कई जांच लंबे समय से बंद पड़ी हैं.