स्कूल में भूमि विवाद, असमंजस में बच्चे

डेहरी कार्यालय : भूमि सरकारी, फिर भी विवाद. वह भी ऐसा कि प्रशासन बैकफुट पर, तो स्कूल के शिक्षक, छात्र व उनके अभिभावकों की बिसात कहां कि कुछ करे सकें. हालात ऐसा कि शाम ढलते ही तीनों स्कूलों के परिसर शौचालय में बदल जाते हैं. जुआड़ी अपना अड्डा जमा लेते हैं. सुबह स्कूल खुलने पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:33 PM

डेहरी कार्यालय : भूमि सरकारी, फिर भी विवाद. वह भी ऐसा कि प्रशासन बैकफुट पर, तो स्कूल के शिक्षक, छात्र व उनके अभिभावकों की बिसात कहां कि कुछ करे सकें. हालात ऐसा कि शाम ढलते ही तीनों स्कूलों के परिसर शौचालय में बदल जाते हैं. जुआड़ी अपना अड्डा जमा लेते हैं.

सुबह स्कूल खुलने पर नाक दबा कर बच्चे क्लास रूम में बैठते हैं. इसी बीच मध्याह्न् भोजन भी करते हैं. यह कैसी मजबूरी? आखिर प्रशासन इनके लिए कुछ क्यों नहीं कर रहा? भूमि विवाद क्यों नहीं सुलझाया जा रहा? शिक्षा विभाग क्यों मौन है? प्रशासन के लोग बच्चों को हक दिलाने में आगे क्यों नहीं आ रहे? ये कुछ सवाल हैं, जो इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र व उनके अभिभावकों के मन में है.

लेकिन, वे पूछे तो किस से. रविवार का दिन. तीन स्कूलों में दो प्राथमिक विद्यालय उर्दू बालक व प्राथमिक विद्यालय उर्दू बालिका.

तीसरे राजकीय मध्य विद्यालय में रविवार की छुट्टी. दोनो उर्दू स्कूल में करीब 105 छात्र व 125 छात्रएं और उन्हें पढ़ाने के लिए मात्र दो-दो शिक्षक. दो-दो कमरे. एक-एक शौचालय व चापाकल चालू हालत में हैं. कमरों की जरूरत तो है. लेकिन, इससे ज्यादा बच्चों व शिक्षकों को वहां व्याप्त गंदगी से निजात की जरूरत है.

बच्चों को होती है कठिनाई

ईदगाह मुहल्ले में कभी पुराना डाकबंगला हुआ करता था. आज भी उसके खंडहर मौजूद हैं.

अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या अधिक है. शायद इसी लिए शिक्षा विभाग ने दो- दो स्कूल खोले. लेकिन, स्कूल के छात्रों को बेहतर वातावरण देने में शिक्षा विभाग अब तक असफल है.

चारों ओर से खुला होने से शाम ढलते ही पूरा परिसर शौचालय में बदल जाता है. गंदगी इतनी की स्कूल के खुलने पर क्लास रूम तक पहुंचने में बच्चों को कठिनाई होती है.
शनिवार की देर शाम जीप भर कर पुलिस बल ने छापेमारी की. हो हल्ला मचा और दर्जन भर में मात्र एक जुआड़ी पुलिस के हाथ लगा.

ज्ञातव्य हो कि कुछ दिन पहले स्कूल परिसर में पहले से स्थित शिक्षा विभाग के बंद पड़ा कार्यालय भी किसी ने फूंक डाला था. उस समय भी चहारदीवारी निर्माण की बात उठायी गयी. लेकिन उसे दबा दिया गया.

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