17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समय के साथ बदला अंदाज

सोशल साइट्स व मोबाइल बने दोस्ती के नये अड्डे सासाराम (ग्रामीण) : 1958 से शुरू हुए फ्रेंडशिप डे का सिलसिला 21 वीं सदी में प्रवेश कर चुका है. फ्रेंडशिप डे मनाने का अंदाज भले ही बदल गया हो, लेकिन कुछ नहीं बदले वह हैं दोस्ती के मायने. कहीं 30 जुलाई को, तो कहीं 20 जुलाई […]

सोशल साइट्स मोबाइल बने दोस्ती के नये अड्डे

सासाराम (ग्रामीण) : 1958 से शुरू हुए फ्रेंडशिप डे का सिलसिला 21 वीं सदी में प्रवेश कर चुका है. फ्रेंडशिप डे मनाने का अंदाज भले ही बदल गया हो, लेकिन कुछ नहीं बदले वह हैं दोस्ती के मायने. कहीं 30 जुलाई को, तो कहीं 20 जुलाई को दोस्तों को याद करने की तारीख तय है. लेकिन, भारत में फ्रेंडशिप डे अगस्त महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है.

वैसे तो दोस्ती समय की मुहताज नहीं होती, पर रविवार को मौका भी था और दस्तूर भी. ऐसे में युवा कहां पीछे रहनेवाले थे.

एसएमएस, फेसबुक सहित अन्य सोशल साइटों पर मैसेज की बाढ़ सी गयी. सभी ने अपनेअपने तरीके से इस रिश्ते के मधुर एहसास को अपने दोस्तों तक पहुंचाया. शहर की गिफ्ट दुकानों और रेस्तरा में जाकर युवाओं ने फ्रेंडशिप डे का लुत्फ उठाया.

एक अकेला दोस्त मेरी दुनिया

फ्रेंडशिप डे के खुशनुमे पल को सबने अपने तरीके से सेलिब्रेट किया. आधुनिकता के इस दौर में मोबाइल और फेसबुक दोस्ती के नये अड्डे के रूप में दिखे. सुबह होते ही एक दूसरे को विश करने का सिलसिला शुरू हो गया, जो देर शाम तक चलता रहा. मोबाइल का इन बॉक्स और फेसबुक पेज दोस्ती के शब्दों से पटे रहें. ‘

एक अकेला गुलाब मेरा बगीचा हो सकता है, एक अकेला दोस्त मेरी दुनिया ’, ‘सुना है असर होता है बातों में, तुम भी भूल जाओगे दोचार मुलाकातों में, हमसे रूठ कर जाओगे कहां, तुम्हारी दोस्ती की लकीर है इन हाथों में. इस तरह की हजारों पोस्ट और एसएमएस के जरिये दोस्ती की डोर को मजबूत करने का प्रयास चलता रहा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें