शहीद के अपमान व प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन
सासाराम (कार्यालय) : ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की यह सुप्रसिद्ध कविता वैसे तो सियासत में खूब इस्तेमाल होती रही है. जहां सत्ताधारी दल के विरोध में विपक्षी पार्टियों द्वारा प्रयोग की जाती रही है. लेकिन, सासाराम की धरती पर यह जनाक्रोश पहली बार देखने को मिला.
यहां विरोध किसी नेता का नहीं, किसी मुद्दे का नहीं, सरकार का नहीं बल्कि शहीद के अपमान और प्रशासनिक कार्रवाई का था. करीब 15 हजार की संख्या में लोगों ने बाल विकास स्कूल मैदान से निकल जब सासाराम की सड़कों पर उतरे तो कुछ घंटों के लिए तो जैसे पूरा शहर ही थम गया.
क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान, महिलाएं और कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्र–छात्राएं भी शहीदों के सम्मान में हुए प्रदर्शन में शामिल हुई. बड्डी की घटना के बाद से ही जिस तरह से लोग एकजुट हो रहे थे वहां ऐसा लग रहा था कि प्रशासनिक कार्रवाइयों से लोगों में असंतोष उभर रहा था.
लेकिन, आज जिस शांतिपूर्वक और लोकतांत्रिक तरीके से निशान सिंह स्मारक समिति के लोगों ने धरना–प्रदर्शन किया वह इतिहास में दर्ज रहेगा. कारण कि इस विशाल प्रदर्शन में जहां लोगों का हुजूम स्वत: स्फूर्त उभरा वह यदा–कदा ही दिखता है. वह भी उस माहौल में जहां लोग जातियों व समुदायों में बंटे हुए हैं.
इस धरना कार्यक्रम में सभी दलों, सभी वर्गो के लोगों ने एक साथ विरोध–प्रदर्शन में शामिल हो जो एकजुटता का परिचय दिया. मुद्दा यहां किसी एक जाति या समुदाय का नहीं बल्कि राष्ट्रध्वज और शहीदों के सम्मान से जुड़ा हुआ था. उल्लेखनीय है कि शहीद निशान सिंह स्मारक समिति के पूर्व नियोजित धरना में रोहतास जिले के साथ भोजपुर और कैमूर से भी लोग आये थे.
गौरतलब है कि स्वतंत्रता दिवस पर झंडोत्तोलन को ले उठे विवाद में प्रशासन पर लगातार यह आरोप लग रहा है कि एकतरफा कार्रवाई हो रही है. पूर्व सांसद लवली आनंद ने धरना में शामिल हो सरकार के साथ प्रशासन को अल्टीमेटम दिया कि एकतरफा कार्रवाई होने की स्थिति में माहौल सुधरने के बजाय और खराब हो सकता है.
वही, शहीद निशान सिंह स्मारक समिति के लोगों ने पुलिस–प्रशासन के साथ बिहार सरकार के विरोध में भी जम कर नारे लगाये. धरना को सफल बनाने में जहां निशान सिंह स्मारक समिति अगुआ बनी. वही, राजपूत महासभा के साथ कई राजनैतिक दलों के लोगों ने भरपूर सहयोग किया.
इसमें हरि नारायण सिंह, हरिगोविंद सिंह, भीष्म नारायण सिंह, डीएन सिंह, अरुणा देवी, मनोज सिंह, मनोज सिंह काका, झून्ना सिंह, लक्ष्मण पांडेय, जितेंद्र शाह, मंटू सिंह, डबलू सिंह, विजय सिंह, रवींद्र सिंह, ज्योति रंजना, अशोक भारद्वाज, आशा सिंह, जितेंद्र सिंह, सुरेश सिंह, भरत सिंह आदि शामिल हुए.