वर्षो से पेयजल की सप्लाइ बंद
बंजारी (रोहतास) : यूं तो किसी सरकारी योजना पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर लोगों के लाभ के लिए लगाती है, लेकिन उस योजना का लाभ लोगों को मिले ही न तो इसका फायदा क्या? गरमी के दिनों में पेयजल की समस्या आम हो गयी है. सरकार की तमाम कोशिश के बावजूद रोहतास प्रखंड की […]
बंजारी (रोहतास) : यूं तो किसी सरकारी योजना पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर लोगों के लाभ के लिए लगाती है, लेकिन उस योजना का लाभ लोगों को मिले ही न तो इसका फायदा क्या? गरमी के दिनों में पेयजल की समस्या आम हो गयी है. सरकार की तमाम कोशिश के बावजूद रोहतास प्रखंड की दो पंचायतों में वर्षो से पेयजल की समस्या बनी हुई है. तेलकप व रसूलपुर पंचायतों के करमा, ऐलाबाद, वकुआ, खजूरी, उचैला, नावाडीह व जालिम बिगहा सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां के पानी में गंधक की मात्र अधिक है. इसके कारण पानी पीने लायक नहीं है.
राज्य सरकार ने ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत लोगों को पीने लायक पानी मुहैया करने के लिए ढेलाबाद में 2003 में करीब एक करोड़ 28 लाख की लागत से व रसूलपुर में एक करोड़ 68 लाख की लागत से 20 हजार लीटर की क्षमता वाली टंकी लगायी थी. लेकिन, इन दोनों स्थानों से लोगों को पानी नहीं मिल सका. 2006 में बिहार सरकार के तत्कालीन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने इसका उद्घाटन किया था.
लेकिन, 10 दिनों के बाद ही बोरवेल के धंस जाने के कारण सप्लाइ बंद हो गयी. इसके बाद गांववालों ने आवेदन के जरिये पीएचइडी को सूचना भी दी, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. 10 वर्षो के बाद भी स्थिति जस की तस है. लोगों को तीन से चार किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है. ढेलाबाद के सोन नदी के किनारे एक मात्र चापाकल है जहां सुबह व शाम के समय पानी लेने के लिए लोगों की भीड़ लगती है. गांव के ललन यादव ने बताया कि पानी तो 40 फुट पर ही मिल जाता है. लेकिन, गंधक की मात्र अधिक होने के कारण यह पीने लायक नहीं है. वहीं, डॉक्टर कन्हैया सिंह ने कहा कि पानी काफी खरा है.
सिंचाई करने पर फसल के उत्पादन पर भी काफी असर पड़ता है. संबंधित विभाग को कई बार सूचना दी गयी है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी.