चपरासी व लिपिक भी बांट रहे दवाएं
सासाराम (ग्रामीण) : सदर अस्पताल में महज एक फार्मासिस्ट कार्यरत है. उसके भरोसे ही अस्पताल में रोगियों को दवाइयां बांटी जाती हैं. अस्पताल में प्रतिदिन औसतन सात सौ मरीज आते हैं, जिन्हें दवाइयां दी जाती हैं. हैरान करनेवाली बात है कि अस्पताल में नियमों का उल्लंघन कर लिपिक, फाइलेरिया सुपरवाइजर व चपरासी भी मरीजों को […]
सासाराम (ग्रामीण) : सदर अस्पताल में महज एक फार्मासिस्ट कार्यरत है. उसके भरोसे ही अस्पताल में रोगियों को दवाइयां बांटी जाती हैं. अस्पताल में प्रतिदिन औसतन सात सौ मरीज आते हैं, जिन्हें दवाइयां दी जाती हैं. हैरान करनेवाली बात है कि अस्पताल में नियमों का उल्लंघन कर लिपिक, फाइलेरिया सुपरवाइजर व चपरासी भी मरीजों को दवाइयां बांट रहे हैं. उन्हें दवा की खुराक की जानकारी भी नहीं रहती है.
ऐसे में मरीजों के लिए हमेशा खतरा बना रहता है. सदर अस्पताल में दवा वितरण में एक फार्मासिस्ट गणोश शर्मा, चपरासी संजय पांडेय, फाइलेरिया सुपरवाइजर अजरुन चौधरी व लिपिक वीरेंद्र सिंह लगाये गये हैं. फाइलेरिया सुपरवाइजर डेहरी के अनुमंडलीय अस्पताल में कार्यरत है, जिनकी प्रतिनियुक्ति यहां की गयी है.
क्या है वितरण की नियमावली : दवा वितरण में प्रशिक्षित लोग यानी फार्मासिस्ट की तैनाती की जाती है जो दवा खाने की विधि, दवाइयों की उपयोगिता व खुराक की मात्र के जानकार होते हैं. अगर, ऐसा नहीं होता है तो पारा मेडिकल कर्मचारी जो जानकार हो उन्हें इस कार्य में लगाया जा सकता है. लेकिन, यहां नियमावली का पालन नहीं किया जाता है. सदर अस्पताल में 33 किस्म की दवाइयां वितरित करने का प्रावधान है. लेकिन, इसमें से कई दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. ऐसे में जो दवा उपलब्ध है उसे रोगियों में बांटा जाता है. सदर अस्पताल में दिखाने आये चंवर तकिया निवासी लल्ली प्रसाद ने बताया कि मैं पांचवीं बार अस्पताल में दिखाने आया हूं. खांसी व दर्द से पीड़ित था. अब कुछ ठीक हूं.