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मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच करनेवाला केंद्र बीमार

डेहरी ऑन सोन: ग्रामीण इलाकों में कहावत है उत्तम खेती मध्यम बान. लेकिन, उक्त खेती तभी संभव है जब खेती के लिए व्यवस्थाएं सही हो. सरकार व कृषि विभाग उत्पाद बढ़ाने पर लगातार जोर दे रही है. इसके लिए तरह-तरह के गुर सिखाये जा रहे हैं. कृषि सयंत्रों का वितरण और उन्नत किस्म के बीज […]

डेहरी ऑन सोन: ग्रामीण इलाकों में कहावत है उत्तम खेती मध्यम बान. लेकिन, उक्त खेती तभी संभव है जब खेती के लिए व्यवस्थाएं सही हो. सरकार व कृषि विभाग उत्पाद बढ़ाने पर लगातार जोर दे रही है. इसके लिए तरह-तरह के गुर सिखाये जा रहे हैं. कृषि सयंत्रों का वितरण और उन्नत किस्म के बीज कैंपों के माध्यम से बांटे जा रहे हैं. लेकिन, प्रखंड के कृषकों की समस्या है कि जिन खेतों में उन्नत खेती की बात बतायी जा रही है उन खेतों की मिट्टी की जांच यहां नहीं होती. उत्तम खेती के लिए खेतों का अम्लीयता, क्षारीयता, लवणीयता और प्रदूषण आदि का पता लगाने के लिए मिट्टी की जांच जरूरी है.

कृषि जानकार की मानें तो खेत के उपजाऊ शक्ति का पता लगा कर उसके अनुसार खादों एवं उर्वरकों की मात्र की सलाह कृषकों को देना है. प्रखंड के किसानों के खेतों की मिट्टी जांच के लिए वर्ष 2009 में छह लाख 73 हजार रुपये से मिट्टी जांच प्रयोगशाला का निर्माण किया गया है. लेकिन, अबतक उसमें काम शुरू नहीं हो सका है. न तो प्रयोगशाला में मशीनें लगी है और न ही किसी अधिकारी की नियुक्ति हो सकी है.

जांच के लिए नमूना जाता है सासाराम: किसानों के खेतों से इकट्ठा हुए नमूनों को जांच के लिए सासाराम भेजा जाता है. कृषि विभाग के सलाहकारों का कहना है कि साल में दो बार नमूना लिया जाता है. किसान नमूना को अपना नाम पता व मोबाइल नंबर लिख कर आवेदन के साथ जमा करते हैं. कुछ किसानों को जांच के बाद रिपोर्ट लिखित व मौखिक जानकारी दी जाती है तो कुछ को मोबाइल पर सूचना चली जाती है. रबी और खरीफ दोनों खेती के समय 464 किसानों का नमूना जांच के लिए भेजा जाता है.

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