ऊंची दुकान, फीकी पकवान

नर्सिग होमों की फीस महंगी, सुविधाएं नदारद सासाराम (कार्यालय) : आम तौर पर अस्पतालों का जिक्र आते ही एक स्वच्छ व बेहतर स्थान की तसवीर उभरती है, जहां रोगियों को इलाज के साथ खुशनुमा माहौल भी मिले. यही नहीं सरकार द्वारा निजी अस्पतालों को चलाने से पूर्व गाइड लाइन का अनुसरण करना होता है. लेकिन, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2013 3:24 AM

नर्सिग होमों की फीस महंगी, सुविधाएं नदारद

सासाराम (कार्यालय) : आम तौर पर अस्पतालों का जिक्र आते ही एक स्वच्छ बेहतर स्थान की तसवीर उभरती है, जहां रोगियों को इलाज के साथ खुशनुमा माहौल भी मिले. यही नहीं सरकार द्वारा निजी अस्पतालों को चलाने से पूर्व गाइड लाइन का अनुसरण करना होता है.

लेकिन, शहर के निजी चिकित्सालयों को देख यह कहना अनुचित होगा कि इनकी हालत बूचड़खाने से भी बदतर है. यहां गंदगी दरुगध के बीच मरीजों का इलाज होता है. पिछले कुछ दिनों से प्रभात खबर जिले के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था पर समाचार प्रकाशित करता रहा है. इसी कड़ी में शहर के कुछ निजी अस्पतालों की सही तसवीर आपके सामने रख रहे हैं. इससे यह अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां इलाज कैसे होता है.

शहर का शायद ही कोई ऐसा निजी हॉस्पिटल है, जहां मानक के अनुसार सफाई की व्यवस्था है. हालांकि कुछ अस्पतालों में स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है. लेकिन, अधिकतर की हालत खराब ही है.

यह उन अस्पतालों की हालत है जहां मरीजों से फीस अन्य सुविधाओं के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है. वहीं, जांच दवा के नाम पर मरीजों से अच्छी रकम ली जाती है. कई अस्पतालों में तो रोगियों के वार्ड में ही एक तरफ कचरा फेंका जाता है.

सरकार ने निजी हॉस्पिटल को चलाने के लिए कुछ मानक तय किये गये हैं. लेकिन, सासाराम के निजी चिकित्सालयों में ऐसे किसी कायदेकानूनों का पालन शायद ही किसी अस्पताल में होता हो. जैसे, बेड के अनुसार मरीजों की भरती, अस्पताल में कार्यरत कर्मियों के लिए सफेद वरदी जैसे नियम तो बहुत जानते भी नहीं हैं. यहां तक एक अस्पताल में तो ऑपरेशन थियेटर में भी बिना वरदी के डॉक्टर कंपाउंडर मरीज के इलाज में लगे हुए हैं.

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