खनन क्षेत्र की बंदोबस्ती स्थगित होने से कारोबारी मायूस, टेंडर में अरबों रुपये फंसे

सासाराम (ग्रामीण): तीन खनन पट्टों की बंदोबस्ती की तिथि समाप्त हो गयी. जिलाधिकारी ने दो दिन पूर्व स्थगन का आदेश दे दिया है. अरबों रुपये के होने वाले टेंडर वन विभाग व खनन विभाग की आपसी पेंच में फंसा है. इससे पत्थर उद्योग में लगे उद्यमियों को एक बार मायूस होना पड़ा. चूंकि, वन विभाग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2015 9:17 AM
सासाराम (ग्रामीण): तीन खनन पट्टों की बंदोबस्ती की तिथि समाप्त हो गयी. जिलाधिकारी ने दो दिन पूर्व स्थगन का आदेश दे दिया है. अरबों रुपये के होने वाले टेंडर वन विभाग व खनन विभाग की आपसी पेंच में फंसा है. इससे पत्थर उद्योग में लगे उद्यमियों को एक बार मायूस होना पड़ा. चूंकि, वन विभाग ने कहा है कि गाय घाट गिजवाही बांसा खनन पट्टों की दूरी वन सेंच्यूरी से काफी कम है. बावजूद इसके खनन होता है तो वन संपदा को नुकसान पहुंचेगा.

खनन विभाग को टेंडर की तिथि निर्धारण के पूर्व एनओसी लेना चाहिए था या फिर टेंडर को निरस्त करना चाहिए था. लेकिन, ऐसा नहीं किया गया. हालांकि, टेंडर निरस्त करने के बाद रुपये लौटाने का प्रावधान है. लेकिन, स्थगन के बाद रुपये नहीं लौटाये जा सकते. ऐसी स्थिति में ठेकेदारों को इन रुपये के इंट्रेस्ट नहीं मिलेंगे. इससे उन्हें काफी नुकसान होगा. यह दीगर है कि टेंडर होगा. चूंकि, सामान्य तरीके अपनाये जाने वाली प्रक्रिया में लंबा वक्त लग सकता है. गौरतलब है कि 47 निविदा पत्रों की बिक्री हुई थी. इनमें 16 निविदा पत्र जमा कराये जा चुके थे. टेंडर प्रक्रिया अपनाये जाने से रोहतास के पत्थर उद्यमी उत्साहित थे, पर विभागीय पेंच ने उनके उत्साह पर पानी फिर गया.

किसने जमा किये थे निविदा पत्र: एसपीनीएल, बंशीधर, एसएस कंपनी, ऑकटेल, निलांबर, उपेंद्र कंस्ट्रक्शन, ब्रांडसन, बालाजी, श्रीराम पावर, चैंपियन ग्रुप व सैनिक फूड ने आवेदन पत्र जमा किये हैं. इनमें अरबों रुपये का ड्राफ्ट जमा है. गौरतलब है कि इन्हीं कंपनियों ने तीनों खनन क्षेत्र के लिए निविदा पत्र जमा कराये हैं.

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