अनुपयोगी हुए ब्लड बैंक व रेडक्रॉस

सासाराम (कार्यालय) : सदर अस्पताल की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिए जो मानक व्यवस्था होनी चाहिए, वह सभी सासाराम में मौजूद हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था क्यों नहीं सुधर पा रही है. इस पर चिंतन करने की आवश्यकता विभाग के साथ जिला प्रशासन की भी है. यह सोचना सिर्फ विभाग का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2013 3:47 AM

सासाराम (कार्यालय) : सदर अस्पताल की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिए जो मानक व्यवस्था होनी चाहिए, वह सभी सासाराम में मौजूद हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था क्यों नहीं सुधर पा रही है.

इस पर चिंतन करने की आवश्यकता विभाग के साथ जिला प्रशासन की भी है. यह सोचना सिर्फ विभाग का ही काम नहीं है कि करोड़ों खर्च करने के बाद स्वास्थ्य विभाग की सेवा सुधरने के बजाय दिनोंदिन बिगड़ती चली जा रही है.

यहां हम स्वास्थ्य विभाग से जुड़े दो महत्वपूर्ण संस्थाओं की चर्चा करेंगे कि आखिर इनकी उपयोगिता क्या है? क्यों इन पर सरकार के पैसे फिजूल में खर्च किये जा रहे हैं? रेडक्रॉस सोसाइटी सदर अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक, इन दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, अस्पतालों को चलाने में.

लेकिन, विभागीय लापरवाही प्रशासन की निष्क्रियता से कामकाज तो दूर, इनकी वार्षिक बैठकें तक आयोजित नहीं हो सकी हैं. रेडक्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष जिलाधिकारी पदेन होते हैं. लेकिन, आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि पिछले दो वर्षो में इसकी एक भी बैठक नहीं हो सकी है.

ब्लड बैंक बेमतलब

अस्पतालों में ब्लड बैंक इसलिए स्थापित किया जाता है कि मरीजों को जरूरत पड़ने पर खून मिल सके. राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा समयसमय पर रक्तदान शिविर लगा कर लोगों को इसके प्रति प्रोत्साहित भी किया जाता है.

लेकिन, सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक तो किसी काम का है ही नहीं. 1994 में इसकी स्थापना हुई थी. मौजूदा स्थिति में यह बिल्कुल अनुपयोगी हो गयी है. हद तो तब है, जब पूरे सदर अस्पताल में एक भी पैथोलॉजिस्ट नहीं हैं. डॉ पांडेय बीके सहाय थे भी, तो उन्हें डेहरी अनुमंडलीय अस्पताल का डीएस बना दिया गया. लेकिन, वह डेहरी में रहने के बजाय पटना में समय बिताना ज्यादा बेहतर समझते हैं.

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