तभी सोन नहरों में जलापूर्ति की जा सकती है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक, एक जून से सोन नहरों में जलापूर्ति शुरू की जायेगी. दूसरी ओर वाण सागर व रिहंद जलाशय ने जलापूर्ति शुरू नहीं की गयी है. इससे परेशानी हो सकती है. नदी के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाना विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. चूंकि, सोन नदी जल संकट ङोल रहा है व रिहंद व वाण सागर ने जलापूर्ति शुरू नहीं की है. ऐसे में नहरों के भरोसे पर बिचड़ा डालना काफी मुश्किल होगा.
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नहरों में जलापूर्ति कल से
सासाराम (ग्रामीण): एक जून से जिले के सोन नहरों में जलापूर्ति करने की घोषणा की गयी है. हालांकि, जलापूर्ति 25 मई से ही की जानी थी. लेकिन, किसानों को पानी की आवश्यकता नहीं है, कह कर विभाग ने जलापूर्ति की तिथि बढ़ा दी. सोन नद के पौंड लेवल (न्यूनतम लेवल) 353 शनिवार को आंका गया […]
सासाराम (ग्रामीण): एक जून से जिले के सोन नहरों में जलापूर्ति करने की घोषणा की गयी है. हालांकि, जलापूर्ति 25 मई से ही की जानी थी. लेकिन, किसानों को पानी की आवश्यकता नहीं है, कह कर विभाग ने जलापूर्ति की तिथि बढ़ा दी. सोन नद के पौंड लेवल (न्यूनतम लेवल) 353 शनिवार को आंका गया है, जबकि जलापूर्ति के लिए लेवल 355 होना जरूरी है.
बिचड़ा डालने में हो सकती है परेशानी : रोहिणी नक्षत्र में जिले के किसान बिचड़े डालते हैं. इसके बाद किसान दूसरा बिचड़ा आद्रा नक्षत्र में डालते हैं. जिले के अधिकतर प्रखंडों में सिंचाई कार्य नहरों पर आधारित है. कुछ प्रखंडों सासाराम, तिलौथू, नौहट्टा, चेनारी व रोहतास के किसान डीजल पंप से बीज डालते हैं. ऐसी परिस्थिति में किसानों की अपने संसाधनों से ही बिचड़े डालने पड़ सकते हैं.
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