डेहरी ऑन सोन (रोहतास): बढ़ती गरमी के बीच शहर में पेयजल संकट गहराता जा रहा है. सरकारी नलों ने तो साथ छोड़ा ही, अब जलस्तर खिसकने से चापाकल भी सूखने लगे हैं. कुछ चापाकल तो पहले से ही बंद पड़े हैं. लेकिन, पीएचइडी कागज पर सरकारी नलों व चापाकलों की मौजूदगी का बखान कर रहा है. आधिकारिक तौर पर शहर में सार्वजनिक सप्लाइ वाले नलों की संख्या 59 है और चापाकल 26 लगे हैं. इसके अलावा लोगों ने भी अपने घरों में पेयजल की व्यवस्था कर रखी है.
वर्ष 2013-14 में विधायक की अनुशंसा पर 78 चापाकल लगाने थे. इसमें मात्र 26 लगे हैं. 52 चापाकल स्थल चयन के अभाव व विभागीय उदासीनता के कारण नहीं लग सके हैं. वर्ष 2014-15 के लिए भी 78 चापाकलों को लगाने की योजना है. लेकिन, अभी तक सामग्री की खरीद भी नहीं हो सकी है और न ही विधायक ने चापाकल लगाने के लिए स्थलों का चयन कर विभाग को दिया है. 2012-13 में 250 की आबादी पर एक चापाकल लगाना था. इसके तहत वर्ष 2013-14 में 150 चापाकल लगाने हैं.
पानी टंकी भी बेकार: डालयिमानगर में इएसआइ अस्पताल में पानी टंकी बना है. कुछ पाइपें भी बिछी हैं, लेकिन सप्लाइ बंद है. रजबरवा बिगहा में भी पानी टंकी बना है.लेकिन, सप्लाइ बंद है. बीएमपी में छोटा पानी टंकी है. इससे बीएमपी को सप्लाइ होती है. 12 पत्थर व कचौड़ी गली में मौजूद पानी टंकी ही कारगर है. इनसे कुछेक घरों में सप्लाइ होती है.
सरकारी नल सिर्फ दिखावे के: करीब 50 वर्ष पहले शहर के पॉश इलाकों में पेयजल आपूर्ति के लिए बिछायी गयीं पाइपें अब ध्वस्त हो चुकी हैं. अधिकतर घरों में पानी नहीं पहुंचता. सार्वजनिक नल अधिकारियों की फाइलों मे तो है, पर स्थल पर ढूंढ़ते नहीं मिलते. कुछ को तो लोगों ने घरों मे समेट लिया है, तो कुछ जमींदोज हो गये हैं.
पाइप लगाने का भेजा गया है प्रस्ताव
पेयजल संकट की जानकारी है. पुरानी व्यवस्था को दुरुस्त करने और नये पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव विभाग के वरीय अधिकरियों को भेजा हुआ है. विधायक ने चापाकल लगाने को लेकर स्थल चयन कर नहीं दिया है.मिलते ही काम शुरू हो जायेगा.
जमीरूद्दीन अंसारी
पीएचइडी सहायक अभियंता