सासाराम (ग्रामीण): मैगी को लेकर देश भर में चल रहे विवाद व बयानबाजी के बीच बिहार के राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा सूबे में इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गयी है. लेकिन, रोहतास जिले के सभी बाजारों में प्रतिबंधित मैगी की बिक्री धड़ल्ले से जारी है. एक रिपोर्ट में मैगी के सेवन को सेहत के लिए खतरनाक बताया गया है.
जानकारी के मुताबिक, भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकार (एफएसएसएआइ) ने मैगी के आयात व निर्यात दोनों पर प्रतिबंध लगाया गया है. स्टॉकिस्ट को मैगी नहीं बेचने का आदेश दिया गया है. लेकिन, रोहतास जिले में आदेश पूर्व की भांति फाइलों में ही सिमट कर रह गयी है. प्रतिबंध का आदेश रोहतास में बेअसर साबित हो रहा है. दुकानदारों द्वारा मैगी छुपा कर रखा है और उन लोगों को बेचा जा रहा है, जिन्हें इसके नुकसान के बारे में पता नहीं है. पूछने पर सासाराम शहर के न्यू एरिया, तकिया, फजलगंज व पुरानी जीटी रोड आदि मुहल्लों के कई लोगों ने बताया कि जैसे ही मैगी में हानिकारक तत्वों की जानकारी मिली, उन लोगों ने फौरन अपने बच्चों को इसे देना बंद कर दिया है. दुकानों में भी इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगना चाहिए.
क्यों लगा प्रतिबंध: नेस्ले कंपनी ने पिछले वर्ष मैगी ओट्स मसाला नूडल्स बेचने के लिए केंद्र सरकार व स्वास्थ्य मंत्रलय से अनुमति मांगी थी. प्रोडक्ट का आकलन करने के बाद सरकार ने नेस्ले को शो-कॉज किया था और इस प्रोडक्ट को हानिकारक बता कर नमूने की जांच करने मना कर दिया था. लेकिन, कंपनी बगैर अहर्ताएं पूरी किये ही इस प्रोडक्ट को मार्केट में लांच कर दिया. साथ ही, व्यापक प्रचार-प्रसार करना भी शुरू करा दिया.
कहां-कहां हो रही मैगी की बिक्री: सासाराम समेत जिले के रेस्तरां, दुकानों व फास्ट फूड विक्रेताओं के पास मैगी का भंडारण है. इससे स्पष्ट है कि उपभोक्ताओं को प्रतिबंध के बाद भी मौत परोसा जाता है. लगता है इसे अधिकारियों का मौन समर्थन प्राप्त है. इधर, चोरी-छुपे मैगी बेचने के सवाल पर दुकानदारों ने कहा कि माल मंगवा लिया है तो बेचना मजबूरी है. अगर इसमें हानिकारक तत्व हैं, तो नेस्ले कंपनी पूरे देश से अपने इस प्रोडक्ट को वापस मंगवा ले और होलसेलरों व स्टॉकिस्ट को कहे कि उनके पैसे रिफंड कर दे.
बेअसर रहा आंदोलन: सासाराम के एक सामाजिक संगठन ने मैगी का प्रचार करनेवाली सिने स्टार माधुरी दीक्षित का पुतला फूंका था. साथ ही, बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को भी मैगी की बिक्री बढ़ाने के लिए जिम्मेदार बताया था. संगठन ने मैगी की बिक्री के खिलाफ सड़क पर आंदोलन करने की धमकी दी थी. लेकिन, संगठन के शुरुआती आंदोलन का असर न तो अधिकारियों में दिखा, न ही व्यवसायियों में.
मैगी के खिलाफ जागरूकता की जरूरत: मैगी में हानिकारक रासायनिक तत्वों मिलने से देश भर में मची कोलाहल के बीच सुदूरवर्ती इलाकों के लोग इससे होनेवाले नुकसान से वाकिफ नहीं है. ऐसी परिस्थिति में एक व्यापक अभियान चला कर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. जानकारी के अभाव में लोगों द्वारा मैगी की खरीदी धड़ल्ले से की जा रही है.
अवैध रूप से बिक्री पर सजा का प्रावधान: प्रतिबंध के बावजूद मैगी या अन्य सामान की बिक्री करने पर जेल व जुर्माना दोनों का प्रावधान है. लेकिन सजा की परवाह किये बगैर व्यवसायियों द्वारा बाजारों व ग्रामीण क्षेत्रों मैगी की बिक्री जारी है.
कौन से तत्व मिले मैगी में : मैगी के सीसा (लीड़), मोनो सोडियम ग्लूटामोट (अजीनोमोटा) की मात्र अधिक पायी गयी है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है. सासाराम के डॉ संजय आनंद ने बताया कि सीसी व अजीनोमोटो केमिकल से बच्चों की मेमोरी कमजोर होती है. मरगी व बेहोशी भी आ सकती है. बच्चे अक्सर पेट में दर्द की शिकायत करते हैं. डॉ पूनम कुमारी ने बताया कि शरीर में इन खतरनाक केमिकलों की मात्र बढ़ने से मौत भी हो सकती है. बच्चों में बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. पीलिया रोग की संभावना बढ़ जाती है.
हम भी हैं जिम्मेवार
जिस घास में गंध होती है, मवेशी उसे नहीं चरते हैं. वह गंवार हैं. लेकिन, हम लोग पढ़े-लिखे हैं. शराब की बोतल पर लिखा होता है-शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बावजूद लोग इसे पीते हैं. उसी तरह मैगी का बहिष्कार करने के बजाय हम लोग उसका सेवन कर रहे है. दोषी हम सब हैं. जरूरत है जागरूक होने की.
गोरखनाथ तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता, नोखा