यज्ञ ग्लोबल वार्मिग रोकने का माध्यम : विज्ञानदेवजी
सासाराम (सदर). यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्राण है व वैदिक धर्म का सार है. यज्ञ ही संसार में श्रेष्ठतम कर्म है. यज्ञ को मात्र एक भौतिक कर्मकांठ न समझा जाये, अपितु इसको अध्यात्मिक रूप से समझ कर इसका अनुष्ठान करें. ये बातें संत प्रवर श्री विज्ञानदेवजी महाराज ने स्थानीय लालगंज में आयोजित 3137 कुंडीय स्वर्वेद […]
सासाराम (सदर). यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्राण है व वैदिक धर्म का सार है. यज्ञ ही संसार में श्रेष्ठतम कर्म है. यज्ञ को मात्र एक भौतिक कर्मकांठ न समझा जाये, अपितु इसको अध्यात्मिक रूप से समझ कर इसका अनुष्ठान करें. ये बातें संत प्रवर श्री विज्ञानदेवजी महाराज ने स्थानीय लालगंज में आयोजित 3137 कुंडीय स्वर्वेद दोहा ज्ञान महायज्ञ में उपस्थित हजारों भक्तों को संबोधित करते हुए रविवार को कहीं. संत श्री ने कहा कि अगिA में हवि डालने से वह सुक्ष्म होकर सूर्य तक फैल जाती है.
क्योंकि, अगिA में डाला हुआ पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता है. आज हो रहे ग्लोबल वार्मिग को रोकने का यज्ञ एक सशक्त माध्यम है. इसका सभी पर्यावरण चिंतकों को अवश्य ध्यान होना चाहिए. महायज्ञ में देश-विदेश से जुड़े हजारों भक्तों ने अपने भौतिक व आध्यात्मिक कल्याण के निमित्त आहूति प्रदान की. वैदिक मंत्रों की ध्वनि से पूरा शहर गुंजायमान हो उठा.
पोस्टऑफिस चौक से लेकर लालगंज तक भक्तों का तांता लगा रहा. समारोह स्थल पर शिर्डी धाम साईं अस्पताल की ओर से स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया है. इसमें डॉ जेके मार्या के निर्देशन में चिकित्सकों की टीम ने भक्तों का नि:शुल्क इलाज किया. विशाल भंडारा भी अनवरत चला रहा है. प्रात:कालीन सत्र में कुशल योग्य प्रशिक्षकों के द्वारा भक्तों को योगा कराया गया.