सवालों के घेरे में टैक्स वसूली
सासाराम (कार्यालय) : सासाराम से पास स्थित टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली का काम 24 घंटे चलता है. चाहे दिन हो या रात, सुबह या शाम टोल गेट से गुजरने पर टैक्स चुका कर ही आगे बढ़ना होता है. देश भर में यह व्यवस्था है जहां राष्ट्रीय राजमार्ग परिवहन प्राधिकार ने सड़कों के निर्माण, मरम्मत […]
सासाराम (कार्यालय) : सासाराम से पास स्थित टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली का काम 24 घंटे चलता है. चाहे दिन हो या रात, सुबह या शाम टोल गेट से गुजरने पर टैक्स चुका कर ही आगे बढ़ना होता है.
देश भर में यह व्यवस्था है जहां राष्ट्रीय राजमार्ग परिवहन प्राधिकार ने सड़कों के निर्माण, मरम्मत से लेकर देखरेख की जिम्मेवारी निजी कंपनियों पर है. यहां एनएचएआइ का काम मॉनीटरिंग तक सिमट कर रह गया है, जिसका बेजा फायदा निर्माण कंपनियां उठा रही हैं. लेकिन, सासाराम का टोल प्लाजा फिलहाल विवादों के घेरे में है.
सिक्स लेन का लिया जा रहा टैक्स
यह टोल प्लाजा देश में पहली सड़क है जहां सिक्स लेन बने ही सिक्स लेन का टैक्स वसूला जा रहा है. 12 सितंबर, 2011 से आइसोलेक्स–सोमा कंपनी टोल टैक्स ले रही है. आरटीआइ कार्यकर्ता मल्लाह ठाकुर ने जब इस संबंध में रिकार्ड मांगे, तो कई सनसनीखेज खुलासे सामने आये.
इसमें एक ही वित्तीय वर्ष में एक माह में हुई वसूली के रिकार्ड अलग–अलग होने के साथ कई विसंगतियां दिखी. इसमें रोड निर्माण किस योजना यानी बीओटी, डीबीओएफटी तो कभी एनएचडीपी फेज– 5 के तहत कार्य होने की सूचना दी गयी है. वहीं, एनएच कीवेबसाइट पर इस सड़क निर्माण की मंजूरी डीबीओएफटी के तहत निर्माण की अनुमति मिली है. सितंबर, 2011 से मई 2013 तक कंपनी करीब 330.59 करोड़ रुपये वसूल चुकी है.
टोल टैक्स के रूप में जब मई 2012 में सूचना मांगी गयी तो 8.35 करोड़ की बात कही गयी. सा थ ही दोबारा सूचना मांगने पर यह राशि 5.44 करोड़ दिखायी गयी. जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि टोल गेट पर बड़े पैमाना पर वसूली गयी राशि में हेराफेरी की गयी है.