औद्योगिक क्षेत्र में रोड पानी भी मयस्सर नहीं
डेहरी ऑन सोन: औद्योगिक क्षेत्रों में सुनियोजित विकास व उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 23 जुलाई 1974 को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार एक्ट बना. इसके बनने के बाद शुरुआती कुछ वर्ष काफी अच्छे रहे. इसका फायदा डेहरी व आसपास के उद्यमियों ने भी उठाया. सोन नदी के किनारे एनिकट में औद्योगिक क्षेत्र की […]
डेहरी ऑन सोन: औद्योगिक क्षेत्रों में सुनियोजित विकास व उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 23 जुलाई 1974 को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार एक्ट बना. इसके बनने के बाद शुरुआती कुछ वर्ष काफी अच्छे रहे. इसका फायदा डेहरी व आसपास के उद्यमियों ने भी उठाया. सोन नदी के किनारे एनिकट में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना हुई. देखते-देखते तीन दर्जन से अधिक औद्योगिक इकाइयां खुलीं. लेकिन, 90 का दशक आते-आते जैसे इस पर ग्रहण लग गया.
एक-एक कर औद्योगिक इकाइयां बंद होने लगीं. हालात यह हैं कि यहां स्थापित 45 यूनिटों में 21 बंद हो चुके हैं औरकुछ सिमटने की तैयारी में हैं. अभी हाल में सुधा दुग्ध उत्पादन यूनिट विकास की ओर है और कई यूनिट लगा रही है. ऐसे में स्थानीय उद्यमियों को अगर सरकार नयी औद्योगिक नीति के तहत प्रोत्साहित करती है, तो एक बार फिर यह इलाका विकास की ओर अग्रसर होगा.
डेहरी के औद्योगिक क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. औद्योगिक क्षेत्र के लिए जरूरी सड़क, जलापूर्ति, रोशनी की व्यवस्था, जल निकासी का समुचित प्रबंध, शौचालय व आवास जैसी मूल सुविधाओं का अभाव है. सड़कों के निर्माण की बात कई वर्षो से सुनी जा रही है, लेकिन बनी अब तक नहीं.
वर्ष 2006 में सीएम नीतीश कुमार ने औद्योगिक नीति के जरिये सूरत बदलने का प्रयास प्रारंभ किया. इस का फायदा मिला कि पहलेजा में झूला, डालडा उद्योग व बांक फार्म में इसी की नयी इकाइयों के साथ ही सुधा दुग्ध उद्योग की यूनिटें स्थापित होने लगी. स्थानीय उद्यमी नरेंद्र कुमार मौर्य ने बताया कि कई इकाइयां बैंक व बीएसएफसी (बिहार स्टेट फाइनेंसियल कॉरपोरेशन) के कर्ज तले दब गयीं. सहयोग नहीं मिलने के कारण कारोबारी उद्योग लगाने से हिचक रहे हैं.
उद्यमी अरुण गुप्ता ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र में जरूरी सुविधाएं नहीं है. इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने व अवैध कब्जे के कारण उद्यमी परेशान हैं. अभी बिजली की हालत में सुधार हुआ है. इसका फायदा उद्यमियों को मिलेगा.