सासाराम कार्यालय : 14 करोड़ लोगों की भाषा भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए यदि बलिदान भी देना पड़े, तो उसके लिए भी तैयार हैं. जब लाख-दो लाख बोलने वाले लोगों की भाषा को तो आठवीं अनुसूची में शामिल कर लिया गया, तो फिर भोजपुरी के साथ इस तरह का दोहरा बरताव क्यों? भोजपुरी हमारी माटी की भाषा है और इसका अधिकार हम दिला कर ही चैन से बैठेंगे.
ये बातें पूर्वाचल एकता मंच के अध्यक्ष शिवजी सिंह ने रविवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहीं. भोजपुरी को मान्यता दिलाने के लिए चलाये गये अभियान के तहत वह बलिया से सासाराम आये थे.
भाषा भोजपुरी जेकर बोलेला..
भाषा भोजपुरी जेकर बोलेला करोड़ों लोग, मान्यता ना देता संविधान’’ गा कर मोहन राठौर ने भोजपुरी को मान्यता दिलाने के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.
आगे आये भोजपुरिया समाज
अब समय आ गया है कि भोजपुरी को उसका वाजिब हक दिलाने के लिए अब इस क्षेत्र के लोग भी कमर कस कर तैयार हो जाये. जब तक इस भाषा के लोग इसके लिए आगे नहीं आयेंगे तब तक इसे उचित मान-सम्मान नहीं मिल सकेगा. भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की जिम्मेवारी केवल राजनेताओं की नहीं है इसके लिए आम लोगों को भी स्वयं आगे आना होगा.
वैसे भी नेताओं के चाल-चरित्र को देखते हुए यह नहीं लगता है कि भोजपुरी को उसका अधिकार मिल सकेगा. यहां की सांसद को भी इस पर गहन विशलेषण कर संसद में ऐसा प्रयास करना चाहिए ताकि भोजपुरी को सम्मान मिल सके.