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अब रिमोट से सरकार चलाना चाहते हैं लालू : नरेंद्र मोदी
बोले मोदी. बिहार को बरबाद करनेवालों को बटन दबा कर सजा दें 60 महीने दीजिए, 60 साल की बरबादी मिटायेंगे सासाराम/औरंगाबाद : बिहार में परिवर्तन का माहौल बना है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी ऐसा माहौल नहीं बना था, जैसा विधानसभा चुनाव में देखने को मिल रहा है. यह चुनाव बिहार को बरबाद करनेवालों को […]
बोले मोदी. बिहार को बरबाद करनेवालों को बटन दबा कर सजा दें
60 महीने दीजिए, 60 साल की बरबादी मिटायेंगे
सासाराम/औरंगाबाद : बिहार में परिवर्तन का माहौल बना है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी ऐसा माहौल नहीं बना था, जैसा विधानसभा चुनाव में देखने को मिल रहा है. यह चुनाव बिहार को बरबाद करनेवालों को सजा देने का अवसर है. यह उनकी रवानगी का वक्त है. यहां की जनता ने ऐसे लोगों को सजा देने का संकल्प ले लिया है. 16 अक्तूबर को बटन दबा कर सजा देना है. ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सासाराम व औरंगाबाद में चुनाव सभाओं को संबोधित करते हुए कहीं. प्रधानमंत्री बनने के बाद वह पहली बार इन जगहों पर आम लोगों को संबोधित करने आये थे.
लालू बताएं, चुनाव से बाहर क्यों हैं ?
सासाराम के सुअरा एयरपोर्ट मैदान में अपनी पहली सभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस चुनाव में एक तरफ महास्वार्थबंधन है, तो दूसरी तरफ एनडीए है. महास्वार्थबंधन में तीन लोग हैं. किसी जमाने में 440 सीट जीतनेवाली कांग्रेस 40 सीट पर सिमट गयी है. दूसरे हैं लालू प्रसाद. उनसे पूछना चाहिए कि वह इस बार चुनाव से बाहर क्यों हैं? आखिर उन्होंने ऐसा कौन-सा गुनाह-पाप किया था कि कोर्ट ने उन्हें बिहार की राजनीति से बाहर कर दिया? लेकिन, वह रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाना चाहते हैं. कहते हैं कि मैं बिग बॉस हूं. मैं जो कहूंगा, वही होगा.
तीसरे वह हैं, जिनका अहंकार उन्हें ले डूबा है. उन्होंने निजी स्वार्थ के लिए दलित के बेटे का अपमान किया. वह जंगलराज को लाने के लिए लाल जाजिम बिछा कर दुनिया को समझाने निकले हैं.
अब जंगलराज गुनाह नहीं
औरंगाबाद के सीआरपीएफ कैंप परिसर में आयोजित सभा में पीएम ने कहा कि पहले जब जंगलराज की बात होती थी, तो इसमें शामिल लोगों को शर्म आती थी, उनका सिर झुक जाता था. अब स्थिति बदल गयी है. पहले जो जंगलराज का विरोध करते थे, अब वे जंगलराजवालों के साथ हो गये. इनकी हिम्मत तो देखिए. इनलोगों ने ठान ली है कि जंगलराज हो जाना गुनाह नहीं है.
लेकिन, बिहार को जंगलराज की आवश्यकता नहीं. यहां के लोगों को विकासराज का रास्ता अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि धान का कटोरा कहे जानेवाले सासाराम के किसान परेशान हैं. पर, सरकार को उनकी सुध लेने की फुरसत नहीं है. ऐसे लोग कभी बिहार का भला नहीं कर सकते. एक जमाना था, जब सासाराम डालमिया के उद्योगों से जाना जाता था, आज बंद है. इसके लिए कौन जिम्मेवार है? नौजवानों को किसने बेरोजगार किया? आज बिहार में उद्योगों की जान लगाने की जरूरत है. नौजवानों को रोजगार मिले, इसका प्रबंध करना होगा.
न पानी की चिंता, न ही जवानी की
मोदी ने कहा कि बिहार में हर जगह पानी है. यहां के पानी में बड़ी ताकत है. यहां के मछुआरा समाज की स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन बिहार सरकार की नीतियों की वजह से बिहार के लोगों को मछली खाने के लिए 400 करोड़ खर्च कर आंध्र प्रदेश से मछली मंगानी पड़ती है.
अगर, यहां के मछुआरों को थोड़ी-बहुत भी सुविधा दी जाती, तो यहां पर मछली इतनी बड़ी रकम खर्च कर दूसरी जगह से नहीं मंगानी पड़ती. लेकिन, बिहार सरकार को न पानी की चिंता है, न ही जवानी की. औरंगाबाद की सभा में उन्होंने कहा कि बिहार से नीतीश कुमार व लालू प्रसाद रेल मंत्री हुए. लेकिन, उन्होंने बिहार के लोगों के लिए कुछ नहीं किया. लोगों को कोलकाता जाने के लिए टिकट नहीं मिलता. बिहार के युवा आज भी रोजगार के लिए ट्रेनों में घूमते नजर आते हैं.
उठाया एएसपी को गोली मारने का मुद्दा
पीएम ने कहा कि बिहार के जंगलराज में एक ही उद्योग है. यह उद्योग है- अपहरण, फिरौती वसूली, किसी की जान लेना या किसी की गाड़ी मार लेना (चोरी कर लेना). श्री मोदी ने कहा कि अभी तो चुनाव भी नहीं हुआ है, लेकिन जंगलराज का तांडव देखिए, पटना में एक पुलिस अफसर को गोली मार दी गयी.
उन्होंने कहा कि जिस राज्य में पुलिस की सुरक्षा नहीं है, वहां एक आम आदमी को सुरक्षा कैसे मिल सकती है ? यह जंगल राज का संकेत है. उन्होंने कहा कि जंगलराज के दौर में बहू-बेटियां घरों से नहीं निकल पाती थीं, लोग त्योहारों में नयी गाड़ी नहीं खरीदते थे. डरते थे कि अगर किसी नेता को पता चल जायेगा, वह उनकी गाड़ी उठवा लेगा. लेकिन, बिहार में अब ऐसे दिन नहीं लाने हैं. इसके लिए विकासराज को लाना होगा.
फिर बिजली के बहाने नीतीश पर हमला
पीएम ने कहा कि भाजपा गरीबों के लिए काम करती है. उसका एक ही सपना है कि गरीबों का विकास हो. वह गांव-गांव बिजली लाना चाहती है. आज अगर बिहार में बिजली होती, तो बिहार में भी उद्योग-धंधे होते. श्री मोदी ने सूबे के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए फिर कहा कि नीतीश कुमार ने 2010 के विधानसभा चुनाव में पांच साल के अंदर हर घर में बिजली पहुंचाने की बात कहीं थी. यह भी कहा था कि अगर नहीं ला सके, तो 2015 के चुनाव में वोट मांगने नहीं जायेंगे. लेकिन, बिजली नहीं आयी. फिर भी वह वोट मांगने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने सवाल दागा कि लोगों को क्या उन पर भरोसा करना चाहिए? औरंगाबाद की सभा में उन्होंने कहा कि बिजली के लिए बिहार को छह हजार करोड़ दे रहे हैं.
औरंगाबाद को तीन सौ करोड़ देने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के 18 हजार गांवों में बिजली नहीं पहुंची है. इनमें सबसे ज्यादा गांव बिहार के हैं. बिहार के चार हजार गांव बिजली से वंचित हैं. पीएम ने कहा कि बिहार में सरकार बनाने का मौका दें, चार हजार गांवों में हम बिजली पहुंचायेंगे. श्री मोदी ने कहा कि पंचवर्षीय योजना के तहत बिहार को आठ हजार करोड़ रु पये देने का निर्णय लिया गया है.
लेकिन, इन पैसों को लेकर काम करनेवाली सरकार चाहिए. इस सरकार में ताकत नहीं. उन्होंने कहा कि जब शौचालय निर्माण योजना की फाइल देखते हैं, तो पता चलता है कि सबसे कम शौचालय बिहार में ही बने हैं. इस योजना के तहत गरीबों के घर में शौचालय बनाने हैं. अगर, इस सरकार से शौचालय नहीं बनता, तो वह और क्या करेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 95 लाख से भी अधिक शौचालय बनाने का काम पूरा कर चुकी है. जन-धन योजना के तहत खाते खोले जा रहे हैं. अब गरीब साहूकारों के पास नहीं जाकर बैंक जा रहे हैं. मुद्रा योजना की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि छोटे व्यवसायियों को इस योजना का लाभ मिल रहा है. इस योजना के तहत बिहार के तीन लाख लोगों को लाभ मिला है.
60 महीने का समय दीजिए, 60 साल की बरबादी दूर करेंगे
पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार को एक लाख 65 हजार करोड़ का पैकेज दिया है. यह विकास का पैकेज है. इससे बिहार के नौजवानों का भाग्य बदलेगा और बिहार के नौजवान देश का भाग्य बदलेंगे. बिहार के पढ़े-लिखे जवान देश के हर राज्य में हैं. अच्छे पदों पर हैं.
वे जहां रहे, उसे नयी ऊंचाइयों पर ले गये. उस राज्य का विकास किया. लेकिन, बिहार में सरकार के कारण नौजवानों की ताकत का सदुपयोग नहीं हो पाया. आज देश के प्रति व्यक्ति आय की सूची में बिहार 29वें स्थान पर है, शिक्षा की सूची में 29वें नंबर है, प्रति व्यक्ति विद्युत की खपत में 29वें नंबर पर है, पीने का पानी मुहैया कराने में बिहार देश में 26वें स्थान पर है, ग्रामीण क्षेत्रों में स्टियर्लगिं डेनिसटी की सूची में 28वें स्थान पर है, रोजगार निर्माण मामले में बिहार देश में 20वें स्थान पर है. कोई ऐसा मानदंड नहीं है, जिसकी वजह से बिहार देश के सामने सीना ठोंक कर खड़ा हो जाये. वह अपराध, अपहरण व गोलियां चलाने में आगे है.
इसके लिए यहां की सरकार जिम्मेवार है. आज पूरे विश्व में भारत की जय-जयकार हो रही है. एक साल के अंदर पूरे विश्व ने भारत का लोहा मान लिया. औरंगाबाद की सभा में उन्होंने कहा कि जब वह विदेश जाते हैं, किसी से मिलते हैं, तो उसे मोदी नहीं दिखायी देता.
उसे हिंदुस्तान के सवा सौ करोड़ लोग दिखायी देते हैं. उन्होंने कहा कि महास्वार्थबंधन को 60 साल का समय दिया, एनडीए को 60 महीने का समय दीजिए, 60 साल की बरबादी मिटा देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में एनडीए की दो तिहाई की सरकार बनाइये, पांच साल बाद वह हिसाब देंगे और बतायेंगे कि बिहार को कहां पहुंचाया. औरंगाबाद में श्री मोदी ने कहा कि बिहार में ऐसी सरकार बने, जो सभी का भला करे. वह चाहते हैं कि 2022 तक गरीबों के पास रहने के लिए अपना घर हो. घर में पीने का पानी हो. घर में नल हो. नल में जल हो. बिजली हो. शौचालय हो. पढ़ने की अच्छी व्यवस्था हो.
2019 के लोकसभा चुनाव में देंगे पल-पल, पाई-पाई का हिसाब
प्रधानमंत्री ने सासाराम की सभा में कहा कि जब 2019 में लोकसभा चुनाव होगा, तो वह लोगों को पांच साल के पल-पल और पाई-पाई का हिसाब देंगे. वह अपने कामकाज का हिसाब लेकर लोगों तक जायेंगे. इसके बाद लोगों से वोट मांगेंगे. लेकिन, इस चुनाव में बिहार सरकार में बैठे लोगों को अपने कामकाज का हिसाब देना चाहिए. महागंठबंधन के लोग जब वोट मांगने आएं, तो पूछें कि उन्होंने 60 साल में क्या किया. कितने कारखाने बंद हुए, कितने नौजवानों का पलायन हुआ, कितने ऐसे गांव हैं, जहां शिक्षक जाने से डरते हैं, बिहार में कितने अस्पताल हैं, जहां डॉक्टर नहीं हैं, अपराध में कितने प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
कुरसी के लिए लालू-नीतीश-सोिनया ने किया है स्वार्थबंधन
पीएम ने कहा कि महागंठबंधन के लोगों ने 60 साल तक राज किया. 35 साल कांग्रेस ने, तो 25 साल तक बड़े भाई व छोटे भाई ने राज किया. कांग्रेस, लालू प्रसाद व नीतीश कुमार तीनों एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते रहे. जब जिसे मौका मिला, एक-दूसरे का पैर काटा, गला काटा. कभी बिहार के इश्यू को लेकर एक नहीं हुए.
बिहार के लिए कभी इकट्ठे होकर मनमोहन सरकार से मांगने दिल्ली नहीं गये. कभी मेरे पास नहीं आये. लेकिन, अब कुरसी के लिए एक हो गये. यह कुरसी का स्वार्थबंधन है. उन्हें बताना होगा कि 60 वर्षों में उन्होंने क्या किया. बिहार का भला किया कि नहीं, ये बताना चाहिए. लेकिन, वह कुछ नहीं बता रहे.
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