– रजनीकांत पांडेय –
– कहीं शिक्षक हैं, तो बिजली नहीं
– ग्रामीण इलाकों में बच्चे देख भी नहीं पाते कंप्यूटर को
करगहर : शिक्षा राज्य सरकार से लेकर केंद्र की प्राथमिकता सूची में पिछले कई वर्षो से रही है. इसके बावजूद इसके गांवों में शिक्षा की स्थिति में सुधार अपेक्षित ढंग से उतना नहीं हो पाया जितना होना चाहिए. वहीं, बच्चों को तकनीकी रूप से साक्षर बनाने के लिए स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा तो अनिवार्य कर दिया गया, लेकिन कंप्यूटर चलाने के लिए आवश्यक व्यवस्था को दुरुस्त नहीं करने से समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.
ज्ञातव्य है कि करगहर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में छात्रों को कंप्यूटर की शिक्षा देने के उद्देश्य से अक्तूबर 2012 में ही कंप्यूटर की पढ़ाई शुरू कर दी गयी थी. लेकिन, इसकी शिक्षा सुचारु रूप से चलाने में आने वाली समस्याओं पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया, जिसका नतीजा है कि अधिकतर विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा हाथी के दांत बन कर रह गये.
देहाती स्कूलों में दूर की कौड़ी
प्रखंड मुख्यालय स्थित हाइस्कूलों में तो कभी-कभार बिजली रहने या जेनेरेटर के सहारे कंप्यूटर देखने-छूने को बच्चों को मिल जाता है. लेकिन, प्रखंड मुख्यालय से दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित हाइस्कूलों की स्थिति काफी बदतर है. जहां कंप्यूटर सिर्फ देखने भर की चीज रह गयी है. वहां के बच्चों ने तो अभी तक सिर्फ कंप्यूटर को देखा है, लेकिन माउस क्या है, और कंप्यूटर कैसे चलाया जाता है यह तो कोई बच्च जानता तक नहीं.
वहीं कई स्कूलों में कंप्यूटर चोरी की घटनाएं भी इन दिनों तेजी से बढ़ गयी है. चोर भी कंप्यूटर को बच्चों के काम की चीज नहीं समझ उड़ा ले जाते हैं और हेडमास्टरों को होती है परेशानी.