स्कूल तक रास्ता भी नहीं

सासाराम (सदर) : शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकारों में शामिल है और इसे लेकर देश और देश के सभी राज्य बहुत ही सजग और जागरूक हैं. बिहार राज्य में रोहतास जिले का साक्षरता दर भी टॉप पांच में है. लेकिन, रोहतास जिले के शिवसागर प्रखंड में कई गांव ऐसे भी हैं, जहां के प्राथमिक विद्यालयों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2013 5:28 AM

सासाराम (सदर) : शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकारों में शामिल है और इसे लेकर देश और देश के सभी राज्य बहुत ही सजग और जागरूक हैं. बिहार राज्य में रोहतास जिले का साक्षरता दर भी टॉप पांच में है.

लेकिन, रोहतास जिले के शिवसागर प्रखंड में कई गांव ऐसे भी हैं, जहां के प्राथमिक विद्यालयों में जाने का रास्ता ही नहीं है. कुम्हऊ पंचायत के डोरियांव गांव और डिहरा गांव. वहीं, समडिहां पंचायत बरांव में जाने का रास्ता ही नहीं है.स्कूल तक जाने के लिये खेत की पगडंडी(आरी) पकड़ कर ही जाना होता है.

बरसात के समय में तो आलम यह होता है कि या तो आप पैंट मोड़ कर जाइये या फिर हाफ पैंट पहन कर दूसरा कोई रास्ता ही नहीं है. बच्चे और शिक्षक रास्ता नहीं होने के कारण आये दिन गिर जाते हैं.डोरियांव गांव के शिक्षक श्री रामेश्वर तिवारी जो विकलांग है उनका कहना है कि विद्यालय तक जाने में मैं पूरी तरह से बरसात के दिनों में जाने में असमर्थ हो जाता हूं पर फिर भी किसी तरह से जाना ही पड़ता है.

जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.शिक्षक का यह भी कहना है कि खेत के मालिक आये दिन बच्चों को डांटते रहते हैं. क्योंकि खेतों में बच्चों के आने जाने से फसल को नुकसान पहुंचता है.जिसके कारण बच्चे भी विद्यालय जाने से कतराते हैं.इन सब कारणों से हमारे शिक्षा को बहुत नुकसान पहुंच रहा है.

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