सासाराम (ग्रामीण) : जिले के सीमावर्ती औरंगाबाद जिले के टंडवा में हुए बारूदी सुरंग के मामले से एक बार फिर जिले के लोग सिहर गये हैं. घटना की सूचना जंगल की आग की तरह फैल गयी.
घटना के बाद पुलिस भी काफी सक्रिय हो गयी, लेकिन लोगों के जेहन में पुरानी घटनाओं व माओवादियों का तांडव कौंधने लगा है. जिले के लगभग 15 स्थानों से महज पांच वर्षो में 15 जगहों से जिले को तबाह कर देने के लिए काफी रहा. विस्फोटक सामग्री से जोड़ा गया है.
बरामद हुए लोगों का संबंध नक्सलियों से पुलिस ने बताया. यही नहीं कई बार उग्रवादी हमले भी हुए, लेकिन एक दशक बीत जाने के बावजूद आजतक अधिकतर मामलों के अनुसंधान अधूरा पड़े हैं. उग्रवादी संगठन से जुड़े लोग संगठन विस्तार करने में जुड़े हैं, तो नक्सली अपने ग्रीन हंट ऑपरेशन को अंजाम देने के मुहिम में.
नये सहयोगियों के तलाश करने तथा ध्वस्त ठिकानों को फिर से जोड़ने की कवायद में नक्सली लगे हैं.
पुलिस भी इनके मंसूबों पर पानी फेरने की तैयारी में सारी ताकत झोंकने में पीछे नहीं है. चूहे बिल्ली के इस सह मात खेल में एक दूसरे को पछाड़ने की कोशिश जारी है. लेकिन, वर्तमान परिवेश में अनहोनी घटने से जिले के लोग सशंकित है. गौरतलब
है कि बघैला थाना कांड संख्या 74/2007, राजपुर थाना कांड संख्या 93/07 नौहट्टा थाना कांड संख्या 36/2003, तिलौथू कांड संख्या 522/02 की अब तक अनुसंधान कार्य अधूरा है.