सासाराम (कार्यालय) : पूरे बिहार में शिक्षा व्यवस्था की हालत पिछले कुछ वर्षो से काफी दयनीय हालत में पहुंच गयी है. गौरतलब है कि 2006 से पूर्व तो सूबे के स्कूलों की हालत यह थी कि सौ बच्चों के बीच इक्का-दुक्का शिक्षक पढ़ाने के लिए होते थे. यह तो सरकार का विशेष प्रयासों का नतीजा है कि शिक्षकों की कमी से जूझते बिहार के स्कूलों में नियोजन के तहत शिक्षकों को बहाल किया गया.
मौजूदा हालत यह है कि पूरे बिहार की शिक्षा व्यवस्था चाहे, जिस स्थिति में हो, लेकिन इसे संभाल रहे हैं संविदा पर बहाल शिक्षक ही. विदित हो कि आज से दस वर्ष पूर्व बिहार के सभी स्कूलों में शिक्षक-छात्र का अनुपात बेहद खराब था. जहां बच्चों की फौज के आगे शिक्षक पढ़ाने में अपने को विवश महसूस करते थे.
हालांकि स्थितियां अभी भी बहुत कुछ नहीं बदली हैं. स्कूलों में शिक्षकों की संख्या और छात्रों की उपस्थिति, तो बढ़ी लेकिन शिक्षा के स्तर में अपेक्षित सुधार नहीं हो सका.