दुर्गावती/नुआंव : जाकी रही भावना जैसी, हरि मूरत देखी तिन तैसी, रामचरित मानस के रचइता तुलसी दास की यह उक्ति स्थानीय क्षेत्र के खड़सरा गांव स्थित माता भुनेश्वरी स्थान पर आये भक्त जनों पर चरितार्थ होता है.
गौरतलब है कि यह मंदिर नाचक बाबा के सौजन्य से 1997 में उक्त गांव के पास नहर किनारे उत्तरी तरफ बना है, जहां हर दिन दर्जनों की संख्या में दूर-दूर से भक्त दर्शन व पूजा करने आते हैं.
क्या कहते हैं श्रद्धालु
जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के बलिरामपुर गांव निवासी रणधीर सिंह ने बताया कि मुङो दिल की बीमारी थी. मैं परेशान था मेरे एक मित्र ने बाबा के सानिध्य में बने माता मुनेश्वरी के विषय में बताया.
मैं यहां तीसरी बार आया हूं. अब मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं. बाबा के दिये भभूत से व माता के दर्शन पूजन से मेरा घर परिवार सभी खुशहाल है. इसी तरह बाबा के यहां छत्तीसगढ़ से आये विजय लाल ने बताया कि माता के दर्शन व बाबा द्वारा दिये भभूत से मेरी पत्नी को पुत्र पैदा हुआ. मैं व मेरी पत्नी शादी के 18 वर्ष बीतने के बाद भी संतान नहीं होने से दु:खी थे. मैं जब भी इधर से गुजरता हूं माता का दर्शन पूजन व बाबा द्वारा दिया भभूत माथे लगाता हूं .
दान से हुए कई काम
42 वर्षीय नाचक बाबा ने बताया कि सासाराम के मथुरापुर के सुनील सिन्हा मनोकामना पूर्ण होने पर मां के दरबार में घंटा चढ़ाया एवं गेट बनवाये. यहां पर आजमगढ़ , बलिया, जौनपुर, सुल्तानपुर, छत्तीसगढ़ के अलावा विभिन्न जगहों से आये श्रद्धालु मन्नत पूरा होने पर यहां काम कराते हैं.
क्षेत्र की पूर्व मुखिया पूनम देवी ने मंदिर परिसर में ईंट बिछवाया. लोकसभा अध्यक्ष सह स्थानीय सांसद मीरा कुमार द्वारा एक धर्मशाला का निर्माण कराया गया है. क्षेत्रीय सांसद द्वारा माता के दरबार में शुद्ध पेयजल के लिए एक हजार लीटर का पानी टंकी दिया गया.