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कहीं धराशायी न हो जाये ‘बालू’ की भीत

– चावल के मोह में प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई – बकाया चावल दिये बिना मिलर कूट रहे धान सासाराम (ग्रामीण) : बकाया सीएमआर (चावल) वसूली में जिला प्रशासन की बालू की भीत खड़ा करने की उम्मीद कहीं धराशायी न हो जाये. चूंकि, विभाग ने धान कूट कर दिये जाने के आश्वासनों के कारण मिल […]

– चावल के मोह में प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई

– बकाया चावल दिये बिना मिलर कूट रहे धान

सासाराम (ग्रामीण) : बकाया सीएमआर (चावल) वसूली में जिला प्रशासन की बालू की भीत खड़ा करने की उम्मीद कहीं धराशायी हो जाये. चूंकि, विभाग ने धान कूट कर दिये जाने के आश्वासनों के कारण मिल को सीज नहीं किया है. उम्मीद किस हद तक खरा होता है. इस पर विभाग निगाह रखे हुए है.

हालांकि, सीएमआर 31 दिसंबर तक जमा करने की तिथि तय है. फिलहाल सीएमआर जमा नहीं करने वाले मिल चालू हैं, जबकि विभाग ने जमा नहीं करने वाले मिलरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है तथा मिलों पर सर्टिफिकेट केस भी किया गया है. लेकिन, सफलता हाथ नहीं लगी है.

बस आश्वासन मिला कि जमा करने की दिशा में प्रयास जारी है. इसकी आशा में बालू की भीत जैसी उम्मीदों पर विभाग खामोश है. इन मिलों में 100 से 200 बोरों का लाट चलाये जाते हैं, जो महज एक पखवारे में बकाया सीएमआर वापस करने के लिए काफी है. लेकिन, देखना यह है कि कितने दिनों में सीएमआर जमा किया जाता है. अधिकारियों की मानें तो सीएमआर जमा नहीं करनेवालों के खिलाफ मील सील करने में उनके हाथों में बेड़ियां हैं.

इससे सील करने के बजाय वे समय देते रहे हैं. हालांकि, एसएफसी सहकारिता विभाग के अधिकारी भी इसके लिए गंभीर नहीं थे. आज जितने मुस्तैदी से कार्रवाई कर रहे हैं, उतना तेजी दिखाते तो समय से इसका डिस्पोजल हो गया रहता.

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