चंद दिनों में ही पूरा इंतजाम बेकार

अनदेखी. बिना व्यवस्था के खड़े कर दिये गये फेब्रिकेटेड रेडिमेड यूरिनल नगर पर्षद ने कदम तो उठाया, लेकिन सही देखरेख नहीं होने के कारण वहीं सुविधाएं सिरदर्द साबित हो रही है़ शहर में लोगों की सुविधा के लिए फेब्रिकेटेड रेडिमेड यूरिनल लगाया गया था. लेकिन, चंद दिनों तक ही लोग इसका लाभ ले सके़ उचित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2016 8:10 AM
अनदेखी. बिना व्यवस्था के खड़े कर दिये गये फेब्रिकेटेड रेडिमेड यूरिनल
नगर पर्षद ने कदम तो उठाया, लेकिन सही देखरेख नहीं होने के कारण वहीं सुविधाएं सिरदर्द साबित हो रही है़ शहर में लोगों की सुविधा के लिए फेब्रिकेटेड रेडिमेड यूरिनल लगाया गया था. लेकिन, चंद दिनों तक ही लोग इसका लाभ ले सके़ उचित देख-रेख नहीं होने के कारण बाद में सभी बेकार हो गये़ अब फिर बाजार करने या अन्य कार्य से आने वाले लोगों को शौच के लिए सुरक्षित जगह की तलाश रहेगी.
सासाराम :एक समय ऐसा लगा था कि अपना शहर सुविधा के मामले में किसी महानगर से पीछे नहीं रहेगा. नगर पर्षद ने डिवाइडर बनवाया. डिवाइडर पर डेकोरेटेड लाइट लगवायी गयी. इसी के साथ शहर के चौक-चौराहों व भीड़ वाले स्थानों पर नगर पर्षद फेब्रिकेटेड रेडिमेड यूरिनल लगवायी थी.
वर्ष 2014 में यह सभी काम हुए थे. वर्तमान में यह सभी यूरिनल लोगों के किसी काम नहीं आ रहे हैं. यह यूरिनल लोगों के लिए नयी मुसीबत बन गये हैं. गंदे और जर्जर यूरिनल से निकलती बदबू लोगों को परेशान करने लगा. लाेगों की मेहनत की कमाई बरबाद हो चुकी है. वह अपने को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं.
सफाई के लिए लगेंगे कर्मचारी
फेब्रीकेट रेडिमेड यूरिनलों की गंदगी पर कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा कि यूरिनलों की सफायी के लिए कर्मचारी लगाये जायेंगे. बंद पड़े यूरिनलों की चालू कराया जायेगा. जो अत्यंत खराब हो चुके हैं उन्हें बंद कराया जायेगा़
ठेकेदार को भुगतान पर लगायी रोक
रेडिमेड यूरिनल लगाने में अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद नगर पर्षद ने ठेकेदार को रुपये भुगतान पर रोक लगा दी है. इस बारे में नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि रेडिमेड यूरिनलों के रुपये भुगतान पर तत्काल रोक लगा दी गयी है. मामला कोर्ट में है.
रैप के सर्वे में खुलासा
रिव्यूलुशन अंगेस्ट पॅल्यूशन (रैप) के सदस्यों ने गत दिनों शहर में फेब्रिकेटेड रेडिमेड यूरिनलों का सर्वेक्षण किया था. इस सर्वे के बाबत संस्था के मणीराज सिंह व विनित प्रकाश ने बताया कि शहर में करीब 40 फेब्रिकेटेड रेडिमेड यूरिनल लगाये गये हैं. इसमें से अधिकतर बेकार हो गये हैं. यह लोगों के इस्तेमाल के लायक नहीं रहे़ अधिकतर में गंदगी अधिक होने से भी लोग जाने से बचते रहते हैं. कई टूट चुके हैं, तो कई में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है़
दो वर्ष में ही हुए यूजलेस
24 फरवरी, 2014 को नगर पर्षद बोर्ड ने शहर में फेब्रिकेटेड रेडिमेड यूरिनल लगाने का निर्णय लिया. दो दिन बाद 26 फरवरी को निविदा का प्रकाशित हुई व तीन मार्च को निविदा खुला. आनन-फानन वर्क ऑर्डर भी निकला. एक यूरिनल की कीमत करीब एक लाख रुपये प्राक्लित की गयी. जोर शोर से यूरिनल की स्थापना की गयी. करीब 50 लाख रुपये खर्च किये गये. लेकिन दो वर्ष भी यह यूरिनल नहीं टिक पाये.

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