सुविधाएं हैं पर इस्तेमाल ही कम

सदर अस्पताल में हर तरह की सुविधा होने के बाद भी मरीजों की संख्या में काफी कमी आयी है़ यहां भरती कुछ मरीजों का मानना है कि अस्पताल के कर्मचारी ही यहां उपलब्ध सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं करते, जिसके कारण मरीजों को उसका लाभ नहीं मिला पाता है़ सासाराम : सासाराम सदर अस्पताल के दिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2016 1:52 AM
सदर अस्पताल में हर तरह की सुविधा होने के बाद भी मरीजों की संख्या में काफी कमी आयी है़ यहां भरती कुछ मरीजों का मानना है कि अस्पताल के कर्मचारी ही यहां उपलब्ध सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं करते, जिसके कारण मरीजों को उसका लाभ नहीं मिला पाता है़
सासाराम : सासाराम सदर अस्पताल के दिन बहुर गये हैं. यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि चकाचक भवन, सफाई भी कमोबेश ठीक-ठाक, डाक्टरों की संख्या संतोषजनक है. बावजूद इसके मरीज अस्पताल में नहीं आना चाहते हैं. सौ बेड वाले जिला अस्पताल में अधिकतर बेड खाली ही पड़े रहते हैं.
गुरुवार की दोपहर में एक-दो वार्ड को छोड़ कर लगभग सभी वार्ड खाली पड़े थे. जिन वार्डों में मरीज थे उन में महिला वार्ड में एक, आपातकालीन वार्ड में एक, डायरिया वार्ड में एक व नशामुक्ति केंद्र में दो. इससे यह नहीं कहा जा सकता की जिले के लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हो गया है और वह बीमार ही नहीं पड़ रहे. सदर अस्पताल के अगल-बगल तमाम निजी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या सैकड़ों में है.
लेकिन, सदर अस्पताल में आने वालों की संख्या घटती जा रही है. इसका कुछ तो कारण जरूर होगा. दो कमरे वाले महिला वार्ड में एक कमरों में पुर्ननिर्मार्ण का कार्य चल रहा है. इस वार्ड में अप्रैल माह में 181 महिला मरीज प्रसव के लिए अायी. गौरतलब है कि वर्ष 2008-09 में सरकार द्वारा उक्त अस्पताल को तीन सौ बेड का पारित किया गया था. अस्पताल प्रबंधक राजेश कुमार राणा ने कहा कि तीन सौ बेड के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. जल्द ही तीन सौ बेड का अस्पताल शुरू हो जायेगा.
दवा की कमी से मरीजों की संख्या घटी : अस्पताल में घट रही मरीजों की संख्या का कारण दवा की अनुपलब्धता भी है. यहां जरूरत है 33 प्रकार की दवा की वहां महज 11 प्रकार की दवाओं के सहारे मरीजों का इलाज किया जा रहा है. स्पताल में सिर्फ साधारण दवाएं ही उपलब्ध है.
जिन कारणों से मरीज निजी चिकितसालयों का रूख करने को मजबूर है. प्रबंधक के अनुसार, इनडोर में जहां 112 प्रकार की दवा होनी चाहिए वहां महज 65 प्रकार की ही दवा उपलब्ध है. वहीं, ओपीडी में 33 प्रकार की दवा की जगह महज 11 प्रकार की दवा अस्पताल में उपलब्ध है. बहरहाल अस्पताल परिसर में सफाई, पेयजल आदि की व्यवस्था के पहले की अपेक्षा सुधार हुआ है.
नहीं बदली जाती हैं चादरें
अस्पताल में दिन के अनुसार शायद ही कभी बेडों पर चादरें बिछायी जाती है. जबकि, नियमानुसार सप्ताह के प्रत्येक दिन बेड की चादरे बदलनी है. इससे संबंधित बड़े-बड़े बोर्ड भी दीवारो पर लगाये गये हैं. चादर बदलने के लिए कर्मियों को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती. क्योंकि, भरती होने वाली मरीज काफी कम होते हैं. नियमानुसार रविवार को बैंगनी रंग की चादर, सोमवार को नीला, मंगलवार काे आसमानी, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी, शनिवार को लाल रंग की चादर बेडों पर बिछानी है.
ओपीडी में हर माह 10 हजार मरीज कराते हैं इलाज
अस्पताल में औसतन 10 हजार मरीज प्रतिमाह इलाज कराने पहुंचते हैं. इसमें छोटे रोग से ले कर आपातकालीन मरीज भी शामिल हैं. आंकड़ों के अनुसार, आपात कालीन मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है. जानकारी के अनुसार, विगत एक जनवरी, 2016 से 28 अप्रैल तक जो मरीज सदर अस्पताल पहुंचे उनमें -16408 पुरुष, 14102 महिलाओं के अलावा आपातकालीन मरीजों की संख्या 12443 है.

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