सेहत से हो रहा खिलवाड़

खाने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता की जांच करने के लिए प्रशासन या सरकार की तरफ से कोई अधिकारी नहीं है़ अब आप बाजार से मिठाई की जगह जहर भी खा रहे हो तो भगवान भरोसे ही है़ एक अधिकारी के जिम्मे पूरे पटना प्रमंडल के छह जिले है़ उसके अनुसार अकेले के लिए संभव नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2016 8:25 AM
खाने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता की जांच करने के लिए प्रशासन या सरकार की तरफ से कोई अधिकारी नहीं है़ अब आप बाजार से मिठाई की जगह जहर भी खा रहे हो तो भगवान भरोसे ही है़ एक अधिकारी के जिम्मे पूरे पटना प्रमंडल के छह जिले है़ उसके अनुसार अकेले के लिए संभव नहीं की पूरे प्रमंडल पर नजर रखी जाये़ जांच प्रयोगशाला भी बंद है़
सासाराम कार्यालय : आप जो खा रहे है वह कितना शुद्ध है? क्या आप ने कभी जानने की कोशिश की है कि होटलों में जो खाना परोसा जा रहा है, वह आपकी सेहत के कितना अनुकूल है? किराना की दुकानों में बिकने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता क्या है. क्या आइसक्रीम आपके सेहत के लायक है.
अधिकतर लोगों का जवाब होगा नहीं. क्योंकि, खाद्य सामग्रियों की जांच के लिए काई व्यवस्था नहीं है. आप चौकिये नहीं! प्रशासन के पास भी खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता की जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. पटना स्थित खाद्य सामग्री की जांच करने वाला एक मात्र प्रयोगशाला भी करीब तीन वर्ष से बंद है. वहीं, खाद्य निरीक्षक कहे जाने वाले अधिकारी खाद्य संरक्षा पदाधिकारी सह प्रमंडल स्तरीय अभिहीत पदाधिकारी बन चुके हैं. आलम यह है कि एक व्यक्ति के जिम्मे पूरे प्रमंडल को सौंप दिया गया है. ऐसे में खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता की जांच किस स्तर तक हो सकती है यह विचारणीय विषय है.
दुकानदारों पर नजर रखना कठिन : खाद्य निरीक्षक से खाद्य संरक्षा पदाधिकारी सह प्रमंडल स्तरीय अभिहीत पदाधिकारी बने नारायण राम ने स्वीकार किया कि एक व्यक्ति पूरे प्रमंडल के बाजारों पर कैसे नजर रख सकता है. तीन वर्ष से गुणवत्ता की जांच करनेवाला पटना का प्रयोगशाला बंद है. खाद्य सामग्री को जांच के लिए कोलकाता भेजना पड़ता है. मुझे लाइसेंस भी निर्गत करना है. ऐसे में दुकानदारों पर नजर रखना बहुत कठिन है.
जम कर हो रही मिलावट
शहर के होटलों व फुटपाथ की दुकानों पर क्या बिक रहा? उसे कोई देखने वाला नहीं है. किराना दुकानदार किस हद तक मिलावट कर रहे हैं. कोई पूछने वाला नहीं है. ऐसे में लोगों को होटलों, फुटपाथ व किराना की दुकानों पर कितनी गुणवत्ता की खाद्य सामग्री मिल रही है.
यह भगवान ही जाने. होटल, फुटपाथी व किराना दुकानदार स्वच्छंद हो चुके हैं. कारण भी है. उनकी नकेल कसने वाला मात्र एक व्यक्ति माह में एक दिन भी पूरे शहर के लिये समय नहीं दे सकता. सड़क किनारे खुले में लगती हैं. फुटपाथ की दुकानें तो खुले में ही लगती हैं. लेकिन, शहर के कई बड़े होटल वाले भी अपनी रसोई सड़क किनारे स्थापित किये हैं.
वहां पकने वाले खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता कितनी होगी. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. इन दुकानदारों को रोकने वाला कोई नहीं. नगर पर्षद के पास कोई स्वास्थ्य पदाधिकारी नहीं है. जिला प्रशासन के फुरसत नहीं है और स्वास्थ्य विभाग को इससे कोई लेना देना नहीं है. तभी तो सबके सामने खुले में एक दो नहीं दर्जनों की संख्या में रसोई स्थापित है.

Next Article

Exit mobile version